देवशयनी एकादशी आज, चार महीने तक नही होगा मांगलिक कार्य…, इन उपायों से मिलेगी सुख- शांति

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धर्म / डेस्क :-  आषाढ़ माह की देवशयनी एकादशी के बाद से चार माह के लिए व्रत और साधना का समय प्रारंभ हो जाता है, जिसे चातुर्मास कहते हैं. सावन, भादो, आश्विन और कार्तिक- इन चार माह में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य निषेध माने गये हैं. इस वर्ष चातुर्मास की शुरुआत रविवार, 10 जुलाई यानि आज से हो रही है. मान्यतानुसार देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं. चार माह बाद देवउठनी एकादशी के दिन भगवान योग निद्रा से जागते हैं, जिसके बाद मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है. चूंकि चार माह के लिए देव यानी श्रीहरि योग निद्रा में चले जाते हैं और सनातन धर्म में हर मांगलिक और शुभ कार्य में श्रीहरि विष्णु सहित सभी देवताओं का आह्‍वान अनिवार्य है, अत: इन चार मास में शुभ कार्य नहीं किये जाते.

मान्यता के अनुसार इन चार महीने तक सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति का तेजस तत्व कम हो जाता है. शुभ शक्तियों के कमजोर होने पर किये गये कार्यों के परिणाम भी शुभ नहीं होते, इसलिए मांगलिक कार्य निषेध होते हैं. इस दौरान हमारी पाचन शक्ति कमजोर होती है, अत: वर्षा ऋतु में चातुर्मास के नियमों का पालन कर भोजन करना चाहिए, अन्यथा रोग जकड़ सकता है. इस अवधि में यात्राएं रोककर संतजन एक ही स्थान पर रहकर व्रत, ध्यान और तप करते हैं, क्योंकि इन चार माह में की गयी पूजा जल्द फलीभूत होती है और मनोकामना पूर्ण होती है । सूर्य जब से कर्क राशि में भ्रमण करने लगता है, तो उसके बाद छह माह तक दक्षिणायन रहता है. दक्षिणायन को पितरों का समय और उत्तरायण को देवताओं का समय माना गया है, इसलिए दक्षिणायन काल में मांगलिक कार्य नहीं किये जाते है. चातुर्मास में श्रीहरि पाताल लोक में राजा बलि के यहां शयन करने जाते हैं और उनकी जगह भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं. इस दौरान शिवजी के गण भी सक्रिय हो जाते हैं.

इन उपायों से मिलेगी सुख- शांति :-

पुण्य प्राप्ति के लिए-
आंवला भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। इस दिन जल में आँवले का रस डालकर सूर्योदय से पूर्व स्नान करने से बहुत पुण्य प्राप्त होता है और प्राणी के सारे पाप दूर हो जाते हैं।

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नकारात्मक ऊर्जा होगी दूर-
शंख की ध्वनि आध्यात्मिक शक्ति से संपन्न होती है। इसकी ध्वनि जहाँ तक पहुँचती है,सभी प्रकार की नकरात्मक ऊर्जा दूर होती है साथ ही वहां तक के वातावरण में रहने वाले सभी कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इस दिन पूजा करने के उपरांत शंख का जल पूरे घर में छिड़क देने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

धन-सम्पत्ति के लिए-
देवशयनी एकादशी के दिन श्री नारायण का कच्चे दूध में केसर मिलाकर अभिषेक करने से भगवान शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।ऐसा करने से आपके घर में धन का आगमन बना रहेगा और  जातक को जीवन में कभी भी आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ता है, उसका घर सदैव धन धान्य से भरा रहता है।

संतान की खुशहाली के लिए-
देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा कर व्रत का पालन करें,विष्णु सहस्त्रनाम या गोपालसहस्त्र्नाम का पाठ करें।ऐसा करने से आपकी संतान योग्य बनती है और उनके कष्टों का निवारण होता है।

रोगों को दूर करने के लिए दान-
देवशयनी एकादशी के दिन दान का बहुत महत्व है।अगर आपके घर में कोई बहुत बीमार रहता है तो जरुरतमंदो को फल, दवाइयां और वस्त्र दान करने चाहिए। इससे आपको स्वयं मानसिक शांति अनुभव तो होता ही है साथ ही मान्यता है कि इससे व्यक्ति के रोग कटने लगते हैं और वह जल्दी ही स्वस्थ हो जाता है।

पितरों की मिलेगी कृपा-
देवशयनी एकादशी के दिन स्नान करके घर या मंदिर में जाकर घी का दीपक जलाकर गीता का पाठ अवश्य ही करें, ऐसा करने से आपके पितृ प्रसन्न होते हैं, पितरो का आशीर्वाद मिलता है एवं घर के लोग तरक्की करते हैं।

श्री हरि और माँ लक्ष्मी की मिलेगी कृपा-
इस दिन रात्रि के समय भगवान नारायण की प्रसन्नता के लिए नृत्य,भजन-कीर्तन और स्तुति के द्वारा जागरण करना चाहिए।जागरण करने वाले को जिस फल की प्राप्ति होती है,वह हज़ारों बर्ष तपस्या करने से भी नहीं मिलता।इस दिन मंदिर,तुलसी के नीचे और नदियों के किनारे दीपदान करने से श्री हरि और माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

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