काव्य संग्रह सरसों सलोनी और गेहूं की बाली के लोकार्पण समारोह का आयोजन

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जमशेदपुर (संवाददाता ):-दिनांक 16 अप्रैल 2022 को तुलसी भवन के सभागार में बिहार के विख्यात कवि, आलोचक, गद्यकार,विचारक एवं डी.ए.वी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय सीवान के पूर्व प्राचार्य एवम् हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. त्रिपाठी सियारमण के सद्य: प्रकाशित काव्य संग्रह सरसों सलोनी और गेहूं की बाली के लोकार्पण समारोह का आयोजन किया गया।जिसकी अध्यक्षता प्रख्यात लेखिका एवं रांची विश्वविद्यालय की पूर्व हिंदी विभागाध्यक्षा डॉ. ऋता शुक्ला ने की। मुख्य अतिथि के रुप में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के पूर्व प्राचार्य एवं हिंदी विभागाध्यक्ष श्री ब्रह्मदेव प्रसाद कार्यी, मुख्य वक्ता रूप में रांची विश्वविद्यालय के पूर्व प्राचार्य एवं हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ अशोक प्रियदर्शी और स्वागताध्यक्ष के रूप में प्रसिद्ध कथाकार श्री जयनन्दन उपस्थित थे।

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कार्यक्रम का आरंभ अतिथियों के द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर हुआ इसके बाद श्री अमलेन्दु ने गणपति वंदना के साथ शांति पाठ और श्रीमती माधवी उपाध्याय ने सरस्वती वंदना की। कथाकार जयनन्दन ने विद्वतापूर्ण उद्घाटन भाषण दिया फिर डॉ कल्याणी कबीर ने स्वागत भाषण से अतिथियों एवं उपस्थित श्रोताओं का स्वागत किया। उसके बाद शहर के प्रसिद्ध गीतकार श्री माधव पाण्डेय निर्मल ने कविवर त्रिपाठी के सम्मान में एक स्वागत गीत प्रस्तुत किया। इसके बाद अतिथियों के द्वारा पुस्तक का लोकार्पण संपन्न हुआ। इसके बाद मुख्य वक्ता श्री अशोक प्रियदर्शी ने विद्वतापूर्ण भाषण से सबको चमत्कृत और सम्मोहित कर दिया। लोकार्पित पुस्तक पर विभिन्न विद्वानों की आगत समीक्षाओं में से दो का पाठ क्रमशः शिशिर कुमार कौशिक और डॉ. अनीता शर्मा ने किया। केरला समाजम माडल स्कूल की पूर्व शिक्षिका ऐंजिल उपाध्याय ने अपनी स्वर्गीया मां को समर्पित कविता मां मेरी तू कहां गई का पाठ कर सारे माहौल को अश्रुपूरित कर दिया।मुख्य अतिथि श्री ब्रह्मदेव कार्यी ने कहा कि हिन्दी भारती संज्ञा के साथ भारत की राष्ट्र भाषा घोषित हो यह सरसों सलोनी और गेहूं की बाली काव्य कृति की मूल ध्वनि है। क्रांतदर्शी कवि त्रिपाठी की इस कालजई काव्य कृति की मूल चिंता इसी बात को लेकर है कि हिन्दी आज तक देश की राष्ट्र भाषा नहीं बन सकी है। कवि श्री त्रिपाठी ने अपने स्वयं के उद्गार से सभा को चमत्कृत कर दिया उन्होंने वर्तमान समय में कविता,कवि धर्म और संस्कृति के संदर्भों पर विस्तृत प्रकाश डाला । अध्यक्षीय भाषण की गुरुता को ऋता शुक्ला जी ने अपने वैदुष्य से चार चांद लगा दिया। धन्यवाद ज्ञापन अरविंद विद्रोही ने किया। कार्यक्रम का संचालन श्री सरोज कुमार सिंह मधुप के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित अन्य लोगों में डॉ.अजय किशोर चौबे, दिनेश्वर प्र.सिंह दिनेश, प्रसेनजीत तिवारी, अनिरुद्ध त्रिपाठी अशेष अजय प्रजापति, अखिलेश कुमार मिश्र, शिवनंदन सिंह आदि प्रमुख थे।

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