Sawan के महीने में इसलिए नहीं खाई जाती है कढ़ी और हरी सब्जी… 

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :- बरसात के मौसम में आपको दही का सेवन नहीं करना चाहिए. मानसून के मौसम में डेयरी उत्पादों में बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ जाती है.

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हरी सब्जियों जैसे भोजन से दूर रहने की सलाह दी जाती है.

‘ऋतुचर्या” आयुर्वेद की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली में चार मौसमों पर आधारित भोजन और जीवनशैली के नियमों के बारे में बताया गया है. इसके अनुसार, श्रावण और भादो के महीनों में वात के बढ़ने के साथ ही पित्त कार्य भी बढ़ने लगते हैं जो स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा करते हैं. इस वजह से सावन के महीने में दही और हरी सब्जियों जैसे भोजन से दूर रहने की सलाह दी जाती है.

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आयुर्वेद के अनुसार क्यों नहीं खाते हैं दही – 

आयुर्वेद के अनुसार, श्रावण के महीने में वात बढ़ जाता है, इसलिए शरीर को स्वस्थ रखने के लिए वात को बढ़ाने वाले सभी खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए. यह स्थापित किया गया है कि श्रावण के महीने में हरी पत्तेदार सब्जियां खाना मना है क्योंकि वे वात को बढ़ाने के लिए जानी जाती हैं. आयुर्वेद का मानना है कि भादो के महीने में सभी किण्वित खाद्य पदार्थों, विशेष रूप से दही से परहेज करना चाहिए, क्योंकि इस समय पित्त बढ़ता है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं.

बरसात के मौसम में आपको दही का सेवन नहीं करना चाहिए. मानसून के मौसम में डेयरी उत्पादों में बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ जाती है. बारिश में दही का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें प्रोटीन अधिक होता है. दही की तासीर ठंडी होती है. इसलिए बरसात के मौसम में गर्म, ताजा भोजन खाने की सलाह दी जाती है.

क्या है धार्मिक मान्यता –

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन में भगवान शिव को कच्चा दूध और दही अर्पित किया जाता है इसलिए इस मास में कच्चा दूध व इससे बनी चीजों का सेवन करना ठीक नहीं माना जाता है. वहीं, कढ़ी बनाने के लिए दही का इस्तेमाल होता है, इसलिए सावन में दूध, दही से संबंधित चीजों का सेवन करना वर्जिoत है.

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