माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नाम लेने से दूर होंगें सारे कष्‍ट

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दावथ (रोहतास) : मानव जीवन में सुख व दुख अनवरत चलते रहते हैं। कई बार हमारे सम्मुख इतने असाध्य कष्ट आ जाते हैं जिनसे बचने का हमारे पास कोई उपाय नहीं होता, हम पूर्णत: असहाय हो जाते हैं। लेकिन हम भारतीय लोग काफी भाग्यशाली हैं। हमारे पूर्वज व ऋषि मुनियो ने हमेशा अपने ज्ञान तथा अनुभव का संकलन करके रखा। जिसकी वजह से हमारी पीढिया दर पीढिया बदलने पर भी हम उनके ज्ञान से लाभंवित होते आ रहे हैं। उन्ही के ज्ञान की वजह से आज भी हमारे पास मंत्र रूपी अलोकिक शक्तिया हैं जिनका चमत्कार हम कई बार देख चुके हैं। उसी प्रकार चमत्कार से जुडा एक मंत्र स्त्रोत हैं “श्री दुर्गा बत्तीस नामवली।

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देवताओ की स्तुति करने के बाद देवी ने खुद दिया मंत्र देवताओ को परास्त करने के बाद असुरो का अत्याचार सम्पूर्ण संसार में होने लगा । तब देवताओ की स्तुति अराधना के पश्चात मां भगवति ने अपनी शक्तियो के साथ मिलकर सभी असुरो का नाश किया । दानव महिषासुर व दुर्गम जैसे महादानवो का वध करने वाली माता से जब देवो ने ऐसे किसी अमोघ उपाय की याचना की, जो सरल हो और कठिन से कठिन विपत्ति से छुड़ाने वाला हो। जिसका स्मरण करने मात्र से सब कष्टो से निवृति हो जाये । तथा जिसे मूर्ख व अज्ञानी व्यक्ति भी लाभ प्राप्त कर सके । ‘हे देवी! यदि वह उपाय गोपनीय हो तब भी कृपा कर हमें कहें। तब ‘ मां भगवती ने अपने ही बत्तीस नामों की माला के एक अद्भुत गोपनीय रहस्यमय किंतु चमत्कारी जप का उपदेश दिया ।

 

“श्री दुर्गा बत्तीस नामवली” स्त्रोत
दुर्गा दुर्गार्ति शमनी दुर्गापद्विनिवारिणी।
दुर्गामच्छेदिनी दुर्गसाधिनी दुर्गनाशिनी
दुर्गम ज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला
दुर्गमा दुर्गमालोका दुर्गमात्मस्वरूपिणी
दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता
दुर्गमज्ञानसंस्थाना दुर्गमध्यानभासिनी
दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थस्वरूपिणी
दुर्गमासुरसंहन्त्री दुर्गमायुधधारिणी
दुर्गमाङ्गी दुर्गमाता दुर्गम्या दुर्गमेश्वरी
दुर्गभीमा दुर्गभामा दुर्लभा दुर्गधारिणी
नामावली ममायास्तु दुर्गया मम मानसः
पठेत् सर्व भयान्मुक्तो भविष्यति न संशयः
पठेत् सर्व भयान्मुक्तो भविष्यति न संशयः।

“श्री दुर्गा बत्तीस नामवली” के लाभ

इस नाम स्त्रोत का प्रभाव अत्याधिक लाभदायक हैं । इस अदभुत स्त्रोत द्वारा जीवन के हर कष्ट व दुखो से हम तुरंत बहार निकल सकते हैं इस मंत्र स्त्रोत को न सिद्ध करने की आवश्यक्ता हैं न स्थान शुद्धि की और न किसी विशेष विधान कि । यह अपने में स्वत: सिद्ध हैं । इसका परिणाम तत्काल देखा जा सकता है । कोई अगर शत्रुओ के मध्य फंस गया हो, भीषण अग्निके मध्य हो, रास्ता भट्क गया हो, कर्ज से न निकल पा रहा हो, गम्भीर रोग से त्रस्त हो, विष भय हो, धन-व्यापार आदि में निरंतर हानि हो रही हो, मृत्यु शय्या पर हो, किसी व्यसन से ग्रस्त हो, कैद या बंदी हो, किसी ऊपरी बाधा से परेशान हो आदि सभी प्रकार के कष्टो से मुक्ति दिलाने वाला हैं यह श्री दुर्गा बत्तीस नामवली स्त्रोत ।

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