डीएपी की किल्लत से किसान परेशान,गेहूं की बोआई हो रही है प्रभावित,बिस्कोमान में डीएपी लेने पहुंचे किसानों पर पुलिस ने चटकाई लाठी,बिक्रमगंज बिस्कोमान में डीएपी के लिए लगी किसानों की भीड़
बिक्रमगंज /रोहतास (संवाददाता ):-बिक्रमगंज प्रखंड में धान की कटाई अंतिम चरण में पहुंचने के साथ हीं किसानों ने गेहूं की बुआई की तैयारी शुरू कर दी है । इस बीच बाजार में डीएपी खाद की किल्लत से किसान परेशान हो रहे है । किसानों की माने तो गेहूं की बुआई के लिए डीएपी खाद काफी आवश्यक है । खाद समय पर उपलब्ध न होने पर रबी फसल की बुआई पर संकट खड़ा हो गया है । जिससे प्रखंड के किसान को बुआई को लेकर उहाफोह की स्थिति में है । वहीं इस बाबत कृषि विभाग के तरफ से भी कोई ठोस पहल नहीं होना विभाग की उदासीनता को दिखा रहा है । समय रहते अगर डीएपी की किल्लत दूर नहीं हुई तो किसान आंदोलन करने की बात कह रहे है ।
दस हजार हेक्टेयर में होती है गेहूं की खेती :-
प्रखंड क्षेत्र में लगभग दस हजार हेक्टेयर भूमि में गेहूं की खेती होती है । वहीं इतनी बड़ी भूभाग पर किसानी के लिए डीएपी अनुपलब्धता से किसानों के समाने समस्या उत्पन्न हो गई है । किसानों ने अब खाद और बीज के लिए जद्दोजहद शुरू कर दी है । प्रखंड क्षेत्र के किसानों में फसल लगाने को लेकर उतावलापन देखा जा रहा है । क्योंकि धान की कटाई के बाद खेतों की नमी तेजी से भाग रही है । लेकिन बाजार में डीएपी न होने से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है ।
खाद बिक्री केंद्र पर भी डीएपी की है किल्लत :
किसानों की परेशानी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गुरुवार को बिस्कोमान केन्द्र पर डीएपी आने की सूचना पर हजारों किसान बिस्कोमान केंद्र पर पहुंच गए । डीएपी लेने पहुंचे किसानों को जब खाद नहीं मिला, तो उनका गुस्सा भड़क गया । इस दौरान सैकड़ो किसानों ने केंद्र और राज्य सरकार को किसान विरोधी बताते हुए नारेबाजी शुरू कर दी । बिक्री केन्द्र का खिड़की दरवाजे तोड़ने लगे । किसानों को काबू में करने के लिए पुलिस ने जमकर लाठी चटकाई । जिसमें कई किसान जख्मी हो गये । किसानों ने बताया कि सरकार किसानों को बर्बाद करने पर तुली हुई है । समय पर बुआई नहीं होने से कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा और पैदावार भी कम होगी ।
अच्छी पैदावार के लिए डीएपी का प्रयोग है जरूरी :-
अच्छी पैदावार के लिए किसानों को डीएपी की भरपूर आवश्यकता होता है । जिससे बीज को आवश्यक पोषक तत्व की प्राप्ति होती है । जिससे किसानों के फसल के पैदावार में वृद्धि होती है ।
क्या कहते है किसान :-
डीएपी की किल्लत से हमलोग परेशान है । समय पर बुआई नहीं होने से आर्थिक नुकसान उठाना होगा । डीएपी के लिए कई दुकान पर गए कहीं डीएपी खाद नहीं मिला, बुआई के लिए दो एकड़ खेत तैयार है ।अखिलेश्वर प्रसाद यादव:- किसान जहां गेहूं की बुआई के लिए हमलोगों को डीएपी नहीं मिल रहा है । वहीं इसके साथ ही आलू का खेत तैयार है और बाजार में डीएपी गायब है । आलू की रोपाई कैसे होगी चिंता बनी हुई है ।
अशोक चौधरी
बिक्रमगंज के किसी भी खाद दुकान में डीएपी नहीं है । इधर बुआई के लिए खेत तैयार है । इस संबंध में कृषि विभाग मौन है ।
संत सिंह
किसान रबी फसल लगाने के लिए खेत तैयार है । इस बीच बाजार से डीएपी खाद गायब है । नहीं मिलने से आलू रोप और गेहूं की बुआई कार्य प्रभावित हो रही है ।
मनेजर सिंह
किसान किसानों को उर्वरक मिलने में हो रही परेशानी को दूर करने की ठोस पहल कृषि विभाग को करना चाहिए । लेकिन कृषि विभाग के अधिकारी इस दिशा में उदासीन बने हुए हैं ।
धिरज कुमार
किसान केंद्र और राज्य सरकार किसान के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है । खेती के समय बाजार से खाद का अचानक गायब हो जाना खेती को बर्बाद करने की साजिश है ।
क्या कहते है कृषि वैज्ञानिक:-
कृषि वैज्ञानिक आर के जलज कहते है कि बाजार में डीएपी खाद नहीं है । किसानों को मिश्रित खाद एवं गोबर से बने कम्पोस्ट तथा वर्मी कम्पोस्ट से गेहूं की बुआई की सलाह दी जा रही है । किसानों को संतुलित मात्रा में ही उर्वरक का उपयोग करना चाहिए । डीएपी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो इसमें घबड़ाने की कोई बात नहीं है । किसान डीएपी की पूर्ति सुपर सिंगल फास्फेट(एसएसपी) ओर यूरिया का उपयोग कर कर सकते हैं । उन्होंने बताया कि डीएपी का मायने होता है डाई अमोनियम फास्फेट । उन्होंने बताया कि डीएपी में 46 प्रतिशत फासफोरस पाया जाता है और अट्ठारह प्रतिशत नाईट्रोजन । उन्होंने बताया कि एसएसपी में फासफोरस की मात्रा सोलह प्रतिशत पाया जाता है । ऐसे में किसान डीएपी नहीं मिलने की स्थिति में एसएसपी उर्वरक का तीन बैग एवं एक हिस्सा यूरिया का उपयोग कर डीएपी उर्वरक की कमी को पूरा कर सकते हैं ।
कहते है अधिकारी:-
प्रखंड कृषि पदाधिकारी प्रशांत कुमार ने बताया कि 15 सौ बैग खाद बिस्कोमान को वितरण करने को मिला है । लेकिन अचानक किसानों की भारी भीड़ जमा हो जाने से परेशानी हुई । पहले दिन किसानों को कूपन दिया गया है । एक कूपन पर एक बैग खाद दिया जाएगा । खाद की कहीं कालाबाजारी की सूचना नहीं है ।