वन विभाग की नाकामी की वजह से पिछले पांच महीनों में 3 लोगो की मौत, अब गांवो को हाथी से सुरक्षित रखने के लिए मधुमक्खियों की मदद लेगा वन विभाग, तैयारी शुरू…

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जमशेदपुर:- पिछले दिनों कई ऐसी खबरें मिली जिसमें हाथियों की वजह से ग्रामीण परेशान हुए है। पिछले पांच महीनों में कुछ लोगो की मौत भी हो चुकी है। जो की वन विभाग की नाकामी को दर्शाता है। लेकिन अब लोगों को हाथियों से सुरक्षित रखने के लिए मधुमक्खियां वन विभाग की मदद करेंगी। पूर्वीं सिंहभूम के चाकुलिया रेंज, सरायकेला-खरसवां के चांडिल रेंज में हाथी और इंसानों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया जाएगा। चाईबासा में इसपर काम शुरू कर दिया गया है। हाथी प्रभावित गांवों में मधुमक्खी पालन का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) की ओर से की जा रही है। इसका जिम्मा गिरीडीह के एनजीओ जय माता दी मधुमक्खी पालक कल्याण समिति (नेशनल बी बोर्ड से रजिस्टर्ड) को दिया गया है।

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एनजीओ के सदस्यों ने चांडिल रेंज के पिलिद समेत अन्य गावों में मधुमक्खी पालन के लिए सर्वे किया है। यह टीम चाकुलिया के हाथी प्रभावित गावों का भी दौरा करेगी। एनजीओ के अध्यक्ष सूरज प्रताप सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ के हाथी प्रभावित गांवों में मधुमक्खी पालन कर वहां हाथी और इंसानों के बीच संघर्ष को रोका गया है। केरल, असम में भी इस योजना से गावों में हाथियों का उत्पात रुका है। चांडिल और चाकुलिया रेंज के कई गांव प्रभावित हैं। उन गावों में भी मधुमक्खी पालन पर काम किया जाएगा।

ऐसे होगा पालन

सूरज प्रताप सिंह ने बताया – हाथी प्रभावित गावों में मधुमक्खियों का बेड़ा लगाया जाएगा। गावों के चारों ओर बी-फेंसिंग की जाएगी। बी-फेसिंग के लिए लकड़ी के खंभे और रस्सी के सहारे बक्से लटकाए जाएंेगे। कुछ बक्सों में मधुमक्खियों को भरा जाएगा, जबकि अन्य बक्से खाली रहेंगे। सभी बक्से एक दूसरे से जुड़े रहेंगे। हाथी गांव में घुसेंगे तो बक्से से बंधी रस्सी हिलेगी और मधुमक्खियां भिनभिनाना शुरू करेंगी। मधुमक्खियों की अावाज सुनते ही हाथी वापस चले जाएंगे। मधु से स्थानीय ग्रामीण रोजगार से भी जुड़ सकेंगे।

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पांच महीने में हाथी के हमले में तीन की मौत

चाकुलिया रेंज में हाथियों के हमले से तीन लोगों की मौत पिछले पांच महीने में हुई है। इससे पहले भी हाथी लोगों की जान ले चुके हैं। गांव के अास-पास हाथियों के अाने पर वन विभाग उन्हें सुरक्षित स्थान पर खदेड़ नहीं पाता है। 15 फरवरी को चाकुलिया के लोधनबनी गांव में क्यूअारटी के सदस्य बबलू बास्के की हाथियों ने जान ले ली थी। 22 मई को खेजुरिया गांव निवासी अतुल कुमार गिरी को चाकुलिया-केरुकोचा सड़क पर हाथियों ने पटक कर मार डाला था। सड़क किनारे के जंगलों में 25 हाथियों ने शरण लिया था लेकिन विभाग हाथियों को खदेड़ नहीं पाया। वहीं, 25 मई को गोबराबनी गांव के ग्राम प्रधान सुरेंद्र हांसदा को हाथियों ने मार डाला था। यहां भी हाथी करीब एक सप्ताह से शरण लिए हुए था।

आरसीसीएफ रवि रंजन बताते है कि चाईबासा में पायलट प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। मधुमक्खियों का पालन कर हाथियों को गांवों में प्रवेश करने से रोका जाएगा। मधुमक्खियों की आवाज से हाथी दूर भागते हैं।

एक्सपर्ट की राय

रिटायर्ड रेंजर राम जी राय बताते है कि हाथियों में सुनने की क्षमता काफी तेज होती है। हाथी मधुमक्खियों की भनभनाहट (आवाज) को काफी दूर से सुन लेते हैं। ऐसे में खतरा महसूस करते हुए वापस चले जाते हैं। गावों के पास मधुमक्खियों का पालन हुआ तो हाथियों का गावों में उत्पात रुकेगा। मधुमक्खी हाथी के सूंढ़, कान और आंख में घुस जाते हैं। इसी डर से हाथी मधुमक्खियों का आवाज सुनते ही वहां से दूरी बना लेते हैं। मधुमक्खियों से हाथियों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा।

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