जलवायु परिवर्तन से बढ़ा बाढ़ का खतरा, बाढ़ के प्रति 30 सबसे ज्यादा संवेदनशील जिलों में से 17 गंगा बेसिन में…

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :- रिपोर्ट में कहा गया है कि चिंताजनक बात यह है कि ये गणनाएं कम करके आंकी जा सकती हैं क्योंकि प्रत्येक घटना के लिए डेटा एकत्र नहीं किया जाता है और न ही सार्वजनिक संपत्ति या कृषि के नुकसान की गणना की जाती है। इस रिपोर्ट को कॉप-28 की पृष्ठभूमि में पेश किया गया है। आपदा की दृष्टि से बिजली और तूफान सबसे अधिक बार आए।

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कई दशकों से भारत बाढ़ की विभीषिका से पीड़ित है। प्राकृतिक आपदाओं, विशेषकर बाढ़ के कारण भारत मृत्यु दर के मामले में दुनिया में सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक है। आंकड़ों की मानें तो भारत में बाढ़ का प्रभाव दिन-ब-दिन गंभीर होता जा रहा है। 1975 और 2015 के बीच 113,390 लोगों की इस वजह से मौत हो चुकी है। बाढ़ के कारण औसतन प्रति वर्ष 2765 मौतें होती है। बाढ़ जनहानि के साथ आर्थिक तंत्र को भी खासा नुकसान पहुंचाती है। बाढ़ के कारण बुनियादी ढांचा भी पूरी तरह से खस्ताहाल हो जाता है। सड़क, फसलें, भवन इत्यादि, को इससे काफी क्षति पहुंचती है। हाल में हुए एक अध्ययन में सामने आया है कि देश में बाढ़ के प्रति 30 सबसे ज्यादा संवेदनशील जिलों में से 17 गंगा बेसिन में स्थित हैं। वहीं इनमें से तीन जिले ब्रह्मपुत्र बेसिन में हैं। वहीं इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), दिल्ली, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, पुणे और आईआईटी, रुड़की के शोधकर्ताओं ने एक नया जिला-स्तरीय बाढ़ गंभीरता सूचकांक (डीएफएसआई) विकसित किया है।

 

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