Advertisements
Advertisements

लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:-नवरात्र के चतुर्थ दिन मां कूष्‍मांडा की उपासना की जाती है। मां कूष्‍मांडा की पूजा से सभी रोग दोष नष्‍ट हो जाते हैं। नवरात्र में चौथे दिन की अधिष्‍ठात्री देवी मां कूष्‍मांडा हैं। मां ब्रह्मांड के मध्‍य में निवास करती हैं और पूरे संसार की रक्षा करती हैं।

Advertisements
Advertisements

मां कूष्मांडा की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद मां कूष्मांडा का ध्यान कर उनको धूप, गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें। इसके बाद मां कूष्मांडा को भोग लगाएं। आप फिर इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं। मां का अधिक से अधिक ध्यान करें। पूजा के अंत में मां की आरती करें।

मां कूष्मांडा को भोग में मालपुआ अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। मां को दही और हलवे का भोग भी लगाया जाता है।

नवरात्रि के चौथे दिन हरा रंग पहनना शुभ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, मां कूष्मांडा को हरा रंग अतिप्रिय है।

मां कूष्मांडा पूजा के समय इस मंत्र का उच्चारण करें या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

मां कूष्मांडा की आरती ये है,चौथा जब नवरात्र हो, कूष्मांडा को ध्याते। जिसने रचा ब्रह्मांड यह, पूजन है उनका

आद्य शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप। इस शक्ति के तेज से कहीं छांव कहीं धूप ॥

कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार। पेठे से भी रीझती सात्विक करें विचार ॥

क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार। उसको रखती दूर मां, पीड़ा देती अपार ॥ सूर्य चंद्र की रोशनी यह जग में फैलाए। शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए ॥

नवरात्रों की मां कृपा कर दो मां नवरात्रों की मां कृपा करदो मां ॥

Thanks for your Feedback!

You may have missed