ज्योतिमर्य पर्व पर मन के अंधेरे को दूर कर लोगो ने की सुख समृद्धि की कामना ,रौशनियों से जगमगा उठा गांव शहर,आतिशबाजियों से गूंज उठा आकाश,पम्परागत जुएं की रही धूम
सासाराम (दुर्गेश किशोर तिवारी):-शुभम् करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा,शत्रु-बुद्धि विनाशाय दीप-ज्योति नमोऽस्तु ते ।घर परिवार में सुख शांति और समृद्धि की कामना के लिए स्थानीय शहर सहित जिले के विभिन्न प्रखंड क्षेत्रों में दीपो का त्यौहार दीपावली धूम धाम एवं हर्षोउल्लास के वातावरण में सोमवार को सपन्न हो गया।इस दौरान कही से भी अप्रिय वारदात की सुचना नही मिली है।सोमवार को सूर्यास्त अस्त होते ही जहा लक्ष्मी गणेश की पूजा अर्चना अभ्यर्थना के लिए शहर से लेकर गांव कस्बो में देर रात तक होड़ लगा रहा। वही आसमान में टिमटिमाते तारो की तरह शहर से लेकर गांव व कस्बे में शुद्ध घी,तीली के तेल में मिट्टी से निर्मित दीपो व मोमबत्ती से जगमगाने लगा।जबकि ब्यवसायिक प्रतिष्ठान,बड़े बड़े कम्प्लेक्स,घर आदि स्थान चाईनीज लॉरियों से जगमगाती रही व दूधिया रौशनी से सराबोर था।मिली सूचना के अनुसार,ज्योतिमर्य पर्व दीपावली पर जहां एक और लोगो मे उत्साह था,वही महंगाई की साया साफ दिखाई दे रही थी।कुल मिलाकर जिले भर में जगमग पर्व धूमधाम से शांति पूर्वक व श्रद्धा व परंपरा के बीच सम्पन्न हो गया।नगर,कस्बे और ग्रामीण अंचल प्रकाश से नहा उठे ।सभी ने प्रकाश पर्व पर दीप जलाकर अंधेरे को दूर भगा देने का प्रयास किया।घरो व प्रतिष्ठानों पर भगवान गणपति व महालक्ष्मी की पूजा अर्चना कर मन मे बैठे अंधकार को दूर कर घर और देश मे सुख समृद्धि लाने की कामना सभी ने की।इस बीच आतिशबाजी की धमक थोड़ा फीकी नजर आयी ,फिर भी चहुओर पटाखों की गूंज और आसमान में रंगारंग रौशनी घण्टो दिखाई और सुनाई देती रही।इस बात को नजर अंदाज नही किया जा सकता कि इस वर्ष की दीपावली में कोरोनाकाल के दौरान अपनो को खोने का गम व महंगाई के कारण फीका रहा।धनतेरस से लेकर दीपावली के दिन तक जिस रौनक व भीड़ की बाजारो में उम्मीद थी।उसमे बढ़ोतरी होता नजर आया।दुकानदारों का भी कहना था कि खरीद फरोख्त इस बार सबसे अत्यधिक रहा।धनतेरस के दिन इस वर्ष कोरोना का कोई दहशत नही रहा।लोग बेपरवाह रहे तथा दोपहर में जबर्दस्त भीड़ दिखाई दी थी।यही स्थिति दीपावली के दिन भी रही।बाजारो में रौनक दोपहर बाद ही देखने को मिला।लोगो ने पर्व से सबंधित आवश्यक वस्तुओं की खरीददारी की।लेकिन औपचारिकता का निर्वाह कम ही दिखाई दिया।निर्धारित मुहूर्त पर साय काल लगभग छह बजे से दीपो की जगमगाहट चारो और दिखने लगी थी ।रिधि सिद्धि के दाता गणेश व लक्ष्मी की पूजा का क्रम देर रात्रि तक चलता रहा। इस दौरान देर रात तक आतिशबाजियों का भी दौर चलता रहा तथा बाबत पत्ते के तास पर हाथ की उंगलियां जमकर दिन व रात थिरकती रही।हालांकि जुआबाज लक्ष्मी की कृप्पा हाशिल करने के लिए विगत सप्ताह से ही अपनी किस्मत की जोरआजमाइश करते रहे। लेकिन दीपावली की पूरे रात इधर से उधर होते रहे जहा बावन पत्ते की तास के पत्तो पर हाथ की उंगलियां थिरकती रही।यह सिलसिला अगले दिन सूर्योदय के पश्चात भी चलता रहा।इस दौरान युवतियों व महिलाओं ने अपने घर के दरवाजे पर आकषर्ण ढंग से एक से बढ़कर एक नक्काशी कर रंगोली बनाया गया था।वही इस दिवाली पर प्रतीक प्रकाश की प्रत्येक किरण जीवन पथ को प्रकाशित करें तथा समाज को अनुराग, राष्ट्र को समृद्धि और विश्व में शांति स्थापित करने के लिए धन्य व वैभव के भगवान रिधि सिद्धि की पूजा अर्चना किया गया। घर से लेकर प्रतिष्ठानों आदि जगहों पर केला के पत्ता से जहां दरवाजा को सजाया गया था ।जबकि प्रसाद के रूप में लड्डू आदि मिठाईया चढ़ाए गये।दीपावली के अवसर पर युवतियों ने काफी आकर्षक तरीके से निर्माण किये गए मिट्टी और इट का घरौंदे को रंग रोगन कर एवं थर्मोकॉल से निर्मित घरौंदे को दीप व मोमबतितो से सजाया गया था।जिसमे कुल्हण रखकर तथा उसमें लावा ,चिनिया मिठाई,लखटो आदि रखकर घर भरने की रस्म किया गया।जो अहले सुबह अपने भाइयों को परोसा और आशीर्वाद प्राप्त किया।हालांकि दीपावली के दिन और रात बिजली भी गुल नही हुआ।जिससे इस त्यौहार में और चांद लगा रहा।