जबाबदेही से मुकरे चिकित्सक, प्रबंधक पर फोड़ा ठीकरा,उलझता जा रहा जारी कोरोना सस्पेक्टेड रिपोर्ट का मामला

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सासाराम:- जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी अनिल पांडेय के यहां उस वक्त एक मामला ने नया मोड़ लिया जब परिवादी के परिवाद पर सोमवार को सुनवाई के दौरान वादी सह चिकित्सक ने कहा कि मई महीने में कोरोनाकाल पूरे शबाब पर था और नित दिन मरीजो की तादाद अस्पताल में बढ़ती जा रही थी तथा भर्ती मरीजों की मौत भी निरंतर होते जा रहे थे।आननफानन में किसी का जांच होता था तो किसी का नही।ऐसे में जिन मृतको की जांच नही हुई उनका स्पष्ट कोविड से पीड़ित होने का प्रमाण पत्र देने के बजाय कोविड सस्पेक्टेड का प्रमाण पत्र दिया गया है।हालांकि चिकित्सक ने यह भी स्वीकार किया कि मृतक मरीजो का सारा सिस्टम कोविड का ही था।सुनवाई के दौरान चिकित्सक ने अपनी जबाबदेही से मुकरते हुए तथा जांच में बरती गई उदासीनता व लापरवाही से स्वयं को सीधा इंकार कर अस्पताल प्रबंधक को जिम्मेवार ठहरा दिया।जिससे कई सवाल उभरने लगा है। कहा कि जांच कराने की सारा जबाबदेही अस्पताल प्रबंधक की होती है।

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चिकित्सक का नही।चिकित्सक के बयान से सरकार सहित खासकर सूबे के स्वास्थ्य मंत्री के उस बयान को भी धक्का लगते दिखाई दे रहा है। जिसमे स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के लगातार मीडिया में प्रकाशित हो रही खबर कि कोरोनाकाल में किसी भी मरीज का जांच व इलाज के अभाव में मौते नही हुई है।परिवादी ने उक्त पदाधिकारी को अवगत कराते हुए बताया कि एक मामले की सुनवाई के दौरान देश के सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यो की सरकार को निर्देश जारी किया था कि जिनका संक्रमणकाल में मौते हुई है और बगैर कोविड दर्शाए प्रमाण पत्र निर्गत किया गया है।उसे पुनः सुधार कर निर्गत किया जाय।जिसके आलोक में राज्य सरकार ने भी सबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया था।वावजूद सुधार नही किया जा रहा है।उल्लेखनीय है कि बीते मई माह में बिक्रमगंज थाना क्षेत्र के धनगाई निवासी गुणवंती कुंवर के पति की मौत अनुमंडलीय रेफरल अस्पताल धनगाई में उस वक्त हो गई थी।

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जब संक्रमणकाल अपने पूरे शबाब पर था।लेकिन 24 घण्टे तक इलाजरत रहे भर्ती मरीज का किसी प्रकार का कोई जांच नही कराई गई।ततपश्चात मरीज का मृत्यु होने के उपरांत चिकित्सक ने कोरोना का लक्षण दर्शाते हुए रिपोर्ट सस्पेक्टेड जारी कर दिया था।जिसके आधार पर मृतक के पत्नी ने सभी कागजातों को सबमिट करते हुए सरकार द्वारा आपदा राहत के तहत निर्धारित राशि को पाने के लिए अंचलाधिकारी बिक्रमगंज को दिया था।लेकिन सीओ ने सस्पेक्टेड कोविड रिपोर्ट होने के कारण आवेदिका का आवेदन ठंडे बस्ते में डाल दिया।परिवादी ने पदाधिकारी से जांच व इलाज के अभाव में लापरवाही व उदासीनता बरतने वाले दोषियों के ऊपर सख्त कड़ी करवाई करने एवं सत्यापन कर कोविड का प्रमाण पत्र निर्गत कराने का आग्रह किया है।लिहाजा न्यायिक पदाधिकारी ने वादी व परिवादी दोनों पक्षो का वक्तव्य जानने के उपरांत आदेश सुरक्षित कर लिया है।

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