बिहार में फर्जी शिक्षकों को बहाल करने वाले अधिकारी और मुखिया भी रडार पर, सरकार को एक हजार करोड़ रुपये का लगाया चूना
समस्तीपुर:-समस्तीपुर जिले में करीब छह साल से जारी फर्जी शिक्षक नियुक्ति मामले में अब ऐसे शिक्षकों पर नकेल कसने की तैयारी शुरू हो चुकी है. शिक्षा विभाग का बहुप्रतीक्षित वेब पोर्टल तैयार है. इसे लेकर प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने जिला शिक्षा पदाधिकारी से ऐसे शिक्षकों की पूरी सूची एनआइसी की पोर्टल पर अप-टू-डेट करने को कहा है.
जिले में प्रखंडवार फोल्डर जमा नहीं नहीं करने वाले नियोजित शिक्षकों की सूची अपलोड की जा रही है. जिसके बाद संबंधित शिक्षकों को अपने सर्टिफिकेट अपलोड करने का निर्देश जारी किया जाएगा. नहीं देने की स्थिति में बीइओ से शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र की मांग कर अपलोड करते हुए जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी. हाइकोर्ट में इन शिक्षकों के प्रमाण पत्र की वैधता को लेकर एक लोकहित याचिका दायर की गयी थी, जिसमें यह साफ हो गया था कि बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षक नियुक्त हो गये हैं.
हाइकोर्ट ने 2015 में ही इस मामले की सुनवाई करते हुए इन शिक्षकों को कहा था कि जो शिक्षक 15 दिन के अंदर स्वतः नौकरी छोड़ देते हैं, उन पर न तो प्राथमिकी दर्ज होगी और न तो वेतन के रूप में लिए गये राशि की वसूली होगी. इस आदेश के बाद जिले के दो दर्जन से अधिक शिक्षकों ने स्वतः नौकरी छोड़ दी थी. अनुमान है कि अवैध तरीके से नियुक्त शिक्षकों द्वारा करीब एक हजार करोड़ रुपये का चूना सरकार को लगाया गया है, जिन अधिकारियों के कार्यकाल में इस प्रकार की धोखाधड़ी हुई है, उनसे भी राशि की वसूली करने पर शिक्षा विभाग में मंथन चल रहा है.
शिक्षा विभाग ने जिन शिक्षकों द्वारा फोल्डर निगरानी को नहीं सौंपे गये थे, उनके(शिक्षक) नाम, नियोजन इकाई का नाम, प्रखंड या पंचायत का नाम, पिता या पति का नाम, विद्यालय का नाम, ज्वाइनिंग डेट, इपीएफ अकाउंट की जानकारी की मांग की थी. डीपीओ स्थापना प्रमोद कुमार साहु ने बताया कि नियोजन इकाई और मुखिया के साथ तत्कालीन पंचायत सचिव की भूमिका की जांच भी की जाएगी. शिक्षा विभाग के मुताबिक पहले शिक्षकों के डॉक्यूमेंट शिक्षा विभाग को मिल जाएंगे उसके बाद तत्कालीन नियोजन इकाई से मेधा सूची तलब करने के बाद तत्कालीन मुखिया और पंचायत सचिव की भूमिका की जांच की जाएगी.