अपनो ने ठुकराया, गैरो ने अपनाया,कलयुग में जीवित है मानवता,नगरवासी बने असहाय बुजुर्ग का सहारा,कंधा दे पहुचाया मुक्तिधाम

Advertisements

सासाराम/नोखा:- मानवता आज भी जीवित है।कब अपने बेगाने हो जाएंगे और बेगाने अपने हो जाएंगे।इस कलयुग में कहना मुश्किल है।क्योकि इसका जीता जागता उदाहरण नोखा में देखने को मिला।जहां पिता को अपना पुत्र कंधा देने तक नही पहुचा तो नगर के समाजसेवियों ने न केवल कंधा दिया बल्कि मुक्ति धाम तक यात्रा कर अंतिम दाह संस्कार भी कराया।बताया जाता है कि आर्थिक रूप से गरीब निर्धन दम्पती कई वर्षों से नोखा काली मंदिर स्थित धर्मशाला में रहकर भिक्षाटन कर जीवकोपार्जन कर रहे थे।बीती रात्रि भिक्षुक बुजुर्ग का आकस्मिक निधन हो गया।मृतक  शिवपूजन साह 70 वर्षीय गोडारी के निवासी बताये जाते है।लोगो ने अंतिम दाह संस्कार के लिए पुत्र को सूचना दिया।लेकिन कड़ी मशक्कत के बाद भी पुत्र सहित अन्य परिजन नही पहुचे तो नगर के समाजसेवियों ने अंतिम संस्कार के लिए पुलिस को सूचना दी और तमाम प्रशासनिक प्रक्रिया पूरी कर असहाय बुजुर्ग को कंधा देकर मुक्तिधाम पहुचा कर कार्य संपन्न कराया।अंतिम संस्कार के लिए पहुचे सभापति प्रतिनिधि विजय सेठ, काली मंदिर कमेटी के अध्यक्ष मनोज चंदेल, कोषाध्यक्ष पिंटू केसरी, बैजू जी,विनोद शर्मा,समाजसेवी अलीहसन अंसारी, मुन्ना बैठा, दीपक कुमार, सुखदेव प्रसाद जी पैक्स अध्यक्ष, रमेश राम,सविता देवी, सफाईकर्मी,जयमंगल राम, मिठाई राम,टुन्नी जी,राजू अंसारी,मुकेश कुमार, चितरंजन जी नूर मोहम्मद, ललन राम,इत्यादि बड़ी संख्या में लोग में मुक्ति धाम नोखा में मौजूद रहे।

Advertisements
Advertisements

You may have missed