राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर देश के युवा और संविधान पर आधारित विमर्श गोष्ठी का आयोजना किया गया
विमर्श गोष्ठी : राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के बैनर तले “देश के युवा और संविधान” विषय पर विमर्श कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह विमर्श कार्यक्रम गूगल मीट के माध्यम से ऑनलाइन किया गया, जिसमें 6 राज्य (झारखंड, ओडिसा, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार) के युवा साथी शामिल हुए।
विमर्श में सुबोध कुमार ने कहा कि युवाओं को आज रोजगार नहीं मिल रहा और सरकार सभी संस्थान को निजीकरण कर रही है। जिससे युवा बेरोजगार हो रहे हैं। आज गांव के अधिकांश युवा को संविधान के बारे में पता नहीं है। जो युवा स्कूल-कॉलेजों में पढ़ते हैं, उनको थोड़ा बहुत संविधान के बारे में पता है। लेकिन जो अनपढ़ युवा हैं उनको संविधान की कोई ज्ञान नहीं है। सुशांत विमुक्त (इलाहाबाद) ने कहा कि संविधान केवल युवाओं के लिए नहीं है, बल्कि भारत के सभी नागरिकों के लिए है। संविधान हमें भेदभाव मिटाने को सिखाता है। समता, स्वतंत्रता एवं बंधुता का अधिकार देता है। संवैधानिक मूल्यों से जनता को अवगत कराने की आवश्यकता है। विकास कुमार ने कि युवाओं को संविधानिक मूल्यों से जोड़ने की आवश्यकता है। सोशल मीडिया के माध्यम से तथा अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें जोड़ना होगा। सौरभ ने कहा युवा केवल संघी बन रहे हैं, परंतु कुछ युवा ऐसे भी हैं जो कोई न कोई आंदोलन में शामिल है या आंदोलन कर रहे हैं। मैंने दिल्ली में देखा कि कैसे यूजीसी ओकुपाय आंदोलन में युवा शामिल हुए। युवा में वह क्षमता है जो समाज को दिशा दे सकता है। कुमार आकाश ने संविधान के धाराओं के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि आज देश में महिलाओं की अत्याचार और बलात्कारों की केस को मात्र 29% ही न्याय मिलती है। हमारा देसी विश्व स्तर पर 81वें स्थान पर है। हमारे देश के युवा को गंभीरतापूर्वक सोचने की आवश्यकता है। साथी एलीन ने कहा कि संविधान ने हमें एक इंसान बनने का पूरा अधिकार दिया है। समता, स्वतंत्रता और बंधुता की अधिकार देती है। हम अपने घर में महिलाओं को कैसे देखते हैं, इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। मासूम अंसारी ने कहा हमारे झारखंड में पलायन, विस्थापन लगातार हो रही है। सरकार की योजना बनती है, परंतु युवाओं को रोजगार से जोड़ नहीं पा रही है। युवाओं को संवैधानिक अधिकार के बारे में बहुत कम जानकारी है। मानस भूनिया ने कहा क्रांति युवा ही करते आए हैं और कर सकते हैं। आज के अधिकतर युवा नशाखोरी में लिप्त हो रहे हैं। हमें नशा मुक्ति आंदोलन चलाने की आवश्यकता है। इसके अलावा तिसोत्तर साथी त्रिलोचन पूंजी, सुजय कुमार, जगत, विजय केदसे एवं अरविंद अंजुम ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान के प्रति युवाओं को संवेदनशील होने की अवश्यकता है। राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर सभी को दृढ़ संकल्पित होना होगा। लोगों को संवैधानिक मूल्यों से अवगत कराना होगा। इस तरह के प्रक्रिया को लगातार करने की अपील की।
विमर्श में अंकित कुमार, जयदेव, खुदीराम, प्रतीक्षा कुमारी, प्रियंका टोप्पो, रासमणि, रुंपा कुमारी, स्वपन कुमार, प्रीति शर्मा, दीपा लक्ष्मी, सुप्रिया कुमारी, अमर सेंगल, विश्वनाथ, झुमुर मानिंद, गुरुपद, मेघराय सोरेन, स्वेता, सुषमा रानी, जयंती, ऋषिराज, निलेश, संतोष कुमार, मंथन, अशोक प्रियदर्शी एवं अशोक उन्नाव मुख्य रूप से शामिल हुए।
इस कार्यक्रम का संचालन कुमार दिलीप ने किया। सभी को धन्यवाद के साथ कार्यक्रम को समाप्त किया।