Jharkhand Famous Temple: इस मंदिर से जुड़ी है हिंदू से लेकर मुस्लिम तक की आस्था…क्या है ऐसा खास…

0
Advertisements

लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:-लौहनगरी से सटे पारडीह स्थित प्राचीन वन देवी काली मंदिर (पारडीह मंदिर) जमशेदपुर के साथ-साथ पूरे झारखंड में प्रसिद्ध है। यहां राज्य के छोटे से बड़े नेता, अफसर, व्यवसायी हर कोई अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना के लिए पहुंचते हैं।

Advertisements

इस मंदिर से सभी धर्म व जाति के लोगों की आस्था भी जुड़ी हुई हैं। ¨हदू, मुस्लिम, सिख, इसाई आदि सभी धर्म के व विभिन्न जातियों के लोग यहां पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं। इस मंदिर की महत्ता कितनी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में एनएच-33 चौड़ीकरण के दौरान काली मंदिर को तोड़े जाने का फरमान जारी होते ही हजारों की संख्या में विभिन्न धर्म व जाति के लोग जुट गए व विरोध प्रदर्शन करने लगे।

काली मंदिर में भव्य काली माता की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में राजा-महाराजा शिकार या युद्ध में जाने से पूर्व यहां आकर मां काली की पूजा अर्चना करते थे। इससे उन्हें विजय प्राप्त होती थी व शत्रु को आसानी से परास्त करने की शक्ति मिलती थी। हालांकि, तब इस पूरे क्षेत्र में घना जंगल हुआ करता था व एक झोपड़ी थी। इसलिए मंदिर का नाम वन देवी काली मंदिर पड़ा। वर्ष 1928 को पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महंत गणेशानंद सरस्वती को मंदिर संचालन का दायित्व सौंपा गया।

जमशेदपुर से चांडिल होकर बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों तक जाने वाली सभी बसें वन देवी काली मंदिर में जरूर रुकती हैं। यहां बस चालक व यात्री मां काली का दर्शन करते हैं उसके बाद यात्रा पर निकलते हैं। वहीं, लंबी दूरी का सफर करने वाले मालवाहक वाहनों के चालक व खलासी भी यहां दर्शन करने आते हैं।

See also  आदित्यपुर : गांव में प्रशिक्षित किसान एम्बेसडर के रूप में कार्य करें : डीसी

श्रद्धालु तीर्थ यात्रा या किसी भी प्रकार के यात्रा में जाने से पहले दर्शन के लिए जरुर आते हैं। अपने घर-परिवार की सुख, शांति व सुरक्षा के लिए मा काली की पूजा-अर्चना करने रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं। वहीं, बिना किसी संकोच किए सभी धर्म व जाति के लोग आकर मा काली का दर्शन व पूजा-अर्चना करते हैं।

Thanks for your Feedback!

You may have missed