जमशेदजी टाटा के छोटे बेटे सर रतन टाटा की 151वीं जयंती आज
जमशेदपुर :- जमशेदजी टाटा के छोटे बेटे सर रतन टाटा का जन्म 20 जनवरी, 1871 को हुआ था। उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज, बॉम्बे से अपनी पढ़ाई पूरी की। 1892 में उन्होंने नवाजबाई सेट्ट से विवाह किया। इस दंपति की कोई संतान नहीं थी।
सर रतन टाटा 1896 में टाटा एंड संस में पार्टनर के रूप में शामिल हुए। 1904 में जमशेदजी एन टाटा के निधन के बाद, सर रतन टाटा ने पेरिस के ला‘ यूनियन फायर इंश्योरेंस कंपनी के लिए काम किया। टाटा एंड संस भारत में इस कंपनी का एजेंट था। इसके अलावा, उन्होंने फर्म ‘टाटा एंड कंपनी‘ के दायित्व का भी निर्वाह किया, जिसकी शाखाएं कोबे, शंघाई, पेरिस, न्यूयॉर्क और रंगून में फैली थी।
सर रतन टाटा में सामाजिक चेतना की तीव्र भावना थी। उन्होंने रंगभेद (नस्लवाद) के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के संघर्ष में महात्मा गांधी के प्रयासों का समर्थन करने के लिए 1,25,000 रुपये (पांच बराबर किश्तों में) का दान दिया।
सर रतन टाटा बेहद उदार व्यक्ति थे और कोई भी हित कार्य, जो उन्हें उपयुक्त लगता था, उसे पर्याप्त दान मिलता था। उन्होंने बाढ़, अकाल और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले संकट में राहत के लिए, सार्वजनिक स्मारकों, स्कूलों और अस्पतालों के लिए उदारतापूर्वक दान दिये। दस साल की अवधि के लिए बॉम्बे नगरपालिका द्वारा शुरू किये गये किंग जॉर्ज पंचम एंटी-ट्यूबरकुलोसिस लीग को हर साल 10,000 रुपये प्रदान किये।
सर रतन टाटा कला के बड़े पारखी थे। कई वर्षों तक, देश-विदेश के अपने दौरों के दौरान, उन्होंने चित्र, पेंटिंग, बंदूकें, तलवारें, चांदी के बर्तन, पांडुलिपियां, जेड, फूलदान और कालीन एकत्र किये। बाद में, संग्रह को प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय, बॉम्बे को सौंप दिया गया।
भारत के अतीत के बारे में सर रतन टाटा को हमेशा काफी उत्सुकता रही थी। 1913 और 1917 के बीच पाटलिपुत्र में व्यापक खुदाई की गयी थी, जिसके लिए उन्होंने 75,000 रुपये दिये।
सर रतन टाटा को 1916 में नाइट की उपाधि दी गई और 5 सितंबर, 1918 को उनका निधन हो गया।