बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति प्रो. अरुण कुमार के निधन पर शिक्षकों में शोक की लहर, शिक्षकों के मशीहा थे प्रो अरुण कुमार–सतीश पाण्डेय,
दावथ / रोहतास (चारोधाम मिश्रा) :- बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति प्रोफेसर अरुण कुमार का बुधवार देर रात निधन हो गया।वे लगभग 90 वर्ष के थे। उनकी निर्धन की खबर सुनते ही शिक्षकों में शोक की लहर दौड़ गई।वयोवृद्ध पूर्व सभापति प्रो. अरुण कुमार पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे।उनका इलाज भी चल रहा था।बुधवार देर रात राजधानी पटना के पटेल नगर स्थित आवास पर उनका निधन हो गया।जे पी के इंटर कॉलेज बभनौल के सचिव डॉ प्रकाश चतुर्वेदी, प्राचार्य विक्की चौबे,परीक्षा नियंत्रक चारोधाम मिश्रा, शिक्षक उमेश पाठक,दिनेश पाण्डेय,प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय के प्राचार्य कौशलेश कुमार, शिक्षक अभिषेक कुमार,राम प्यार विद्यालय कवई के प्राचार्य प्रमोद कुमार सिंह,शिक्षक प्रेम प्रकाश,जगनारायण उच्च विद्यालय कोआथ के शिक्षक, राजेश कुमार, संजय कुमार, संतोष रंजन, ने उनके निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है।माध्यमिक शिक्षक संघ रोहतास के जिला सचिव सतीश कुमार पाण्डेय ने बताया कि प्रो. अरुण कुमार शिक्षकों के मशीहा थे एक कुशल राजनेता एवं प्रसिद्ध समाजसेवी थे।वह 05 जुलाई 1984 से 03 अक्टूबर 1986 तक बिहार विधान परिषद के सभापति रहे थे। इसके बाद वह 16 अप्रैल 2006 से 04 अगस्त 2009 तक विधान परिषद के कार्यकारी सभापति भी रहे।उनके निधन से शिक्षा क्षेत्र,राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है।
बता दें कि प्रोफेसर अरुण कुमार का जन्म 2 जनवरी 1931 को हुआ था और वे मूल रूप से रोहतास जिले के मछनहट्टा के रहने वाले थे।वे मानव भारती प्रभृति साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था के संस्थापक अध्यक्ष थे। कुछ वक्त तक वे मानव भारती के महामंत्री भी रहे थे।वे विभिन्न सामाजिक संस्थाओं की स्थापना द्वारा समाज के बौद्धिक विकास एवं सामूहिक चेतना की जागृति का प्रयास करते रहे।
साहित्य एवं ललित कला में गहरी रुचि रखने वाले प्रो अरुण कुमार निराला पुष्पहार तथा पत्र – पत्रिकाओं में अनेक रचनाओं का प्रकाशन किया था।