लोक गायिका शारदा सिन्हा ने 72 वर्ष की उम्र में ली आखिरी सांस, महापर्व छठ की पर्याय थी शारदा सिन्हा…

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बिहार :- लोक गायिका शारदा सिन्हा गंभीर रूप से बीमार  होने के बाद 72 वर्ष की उम्र में दिल्ली एम्स में आज आखिरी सांस ली। निधन की खबर सुनते ही पूरे देश में दुख का माहौल है. बता दें कि लोक गायिका शारदा सिन्हा को गंभीर स्थिति में दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था . छठ के माहौल में शारदा सिन्हा की नाजुक स्थिति की खबर सभी के लिए दुखदायी है. वहीं, सुपौल में उनके पैतृक गांव राघोपुर प्रखंड के हुलास में सन्नाटा पसरा हुआ है. गांव के लोग गहरे दुख और चिंता में हैं .

इस बीच गायिका मैथिली ठाकुर ने भी इस खबर पर दुख प्रकट किया है. उन्होंने कहा कि छठ उत्सव शुरू हो गया है और हम टीवी पर देख रहे हैं कि शारदा सिन्हा नहीं रही…यह बहुत दुखद है. हमलोग के लिए छठ का पर्यायवाची शब्द ही शारदा सिन्हा बन गई हैं. वो बिहार की सभी लड़कियों के लिए एक बड़ी प्रेरणा रही हैं. मैं भी बचपन से ही उनको सुन रही हूं और सीख रही हूं. आशा करती हूं और प्रार्थना करती हूं कि वह जल्द ही ठीक हो जाएं.


ठीक होने के लिए ग्रामीण कर रहे हैं लगातार प्रार्थना


शारदा सिन्हा के गांव वालों का कहना है कि उनको अपने मायके से गहरा जुड़ाव है. उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुलास में ही हुई थी और गांव से उनका रिश्ता भावनात्मक बना हुआ है. उनके बीमार होने की खबर से सभी बहुत चिंतित हैं और भगवान से उनकी दीर्घायु की प्रार्थना कर रहे हैं.


पैतृक आवास से सभी दिल्ली के लिए रवाना


बता दें कि शारदा सिन्हा का पैतृक निवास हुलास में स्थित है, जहां पुराने खपरैल का घर अब टूट चुका है, लेकिन उनके मायके की स्मृतियां आज भी इस स्थान पर जीवित हैं. अब परिसर में नए मकान बने हुए हैं, जहां उनका एक मात्र भाई निवास करता है. उनके अन्य भाई गांव से बाहर रहते हैं. शारदा सिन्हा के तबियत बिगड़ने की खबर सुनकर घर के परिजन दिल्ली रवाना हो गए हैं.

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