तीनों काले कानून को वापस ले केंद्र सरकार : सुधीर कुमार पप्पू …

0
Advertisements
Advertisements

जमशेदपुर: सोमवार से पूरे देश में लागू हो रहे तीनों कानून संहिता को वापस लेने की मांग झारखंड के जमशेदपुर से अधिवक्ता एवम समाजवादी चिंतक सुधीर कुमार पप्पू ने की है।

Advertisements
Advertisements

उन्होंने इसे काला कानून की संज्ञा दी है और कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपने छुपे एजेंडे के तहत देश पर इसे थोपा है।

संसद में यह कानून सर्वसम्मति से पारित नहीं हुआ है। बहुमत का आंकड़ा के बल पर जबरन पास किया गया है और संवैधानिक प्रावधान के कारण महामहिम राष्ट्रपति जी को हस्ताक्षर करना पड़ा है।

इस तीनों कानून संहिता के कारण देश में पूंजीपति प्रकाशकों की चांदी कट रही है। मनमाने दाम पर पुस्तक बेची जा रही है।

देश के लाखों वकीलों के साथ लाखों पुलिस कर्मियों अदालत कर्मियों और कानून की पढ़ाई पढ़ रहे विद्यार्थियों पर आर्थिक मार पड़ी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को बताना चाहिए आखिरकार इस तीनों नए कानून संहिता में नया क्या है? बस जिस तरह से प्रतियोगी परीक्षाएं होती हैं और उसमें ए बी सी और डी समूह के परीक्षार्थी होते हैं। प्रश्न सभी समूह के समान रहते हैं परंतु उनका क्रम अलग-अलग समूह में अलग-अलग रहता है। बस यही बाजीगरी इस नए न्याय संहिता में भी की गई है।

भारतीय दंड संहिता 1860 के अनुसार हत्या के लिए धारा 302 का प्रयोग होता था और अब भारतीय न्याय संहिता 2023 में धारा 100 का प्रयोग होगा।

भारतीय दंड संहिता 1860 में 511 धारा थी जिसे घटाकर 358 कर दिया गया है। वहीं भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 में 167 धारा थी जिसे बढ़ाकर भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में 170 कर दिया गया है।

See also  जमशेदपुर का बढ़ाया मान शहर के जन सेवा संघ ट्रस्ट ने...

दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में 484 धारा थी जिसे भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में बढ़ाकर धारा 531 कर दिया गया है।

वास्तव में इन तीनों संहिता को भाजपा एवं इसके मास्टरमाइंड नागपुर वाले लिटमस पेपर टेस्ट की तरह देख रहे हैं। वह यह देखना चाहते हैं कि भारतीय जनता में कितनी सहनशक्ति है अथवा आक्रोश है जो इसका विरोध कर सके।

विरोध नहीं होने पर धीरे-धीरे उनकी कोशिश संविधान परिवर्तन करने की होगी। देश के इतिहास के साथ छेड़छाड़ हो रहा है और नरेंद्र मोदी एवं राज्य की भाजपा सरकारें जमकर इसे से बढ़ावा दे रही हैं। नई पीढ़ी इतिहास के काले पन्नों की सच्चाई से अवगत नहीं हो पूरे देश में इतिहास के पाठ्यक्रम से छेड़छाड़ की जा रही है और नए पाठ्यक्रम देश के विद्यार्थियों पर लादे जा रहे हैं। जिससे उनके मानसिक पटल पर एक खास विचारधारा को लेकर जज्बा हो और जर्मन के हिटलर ने यहूदी समाजवादियों कम्युनिस्टों के प्रति नागरिकों में नफरत के जहर बो दिए थे इसी प्रकार से देश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ों एवं अल्पसंख्यकों के प्रति नफरत की दीवार खड़ी की जा रही है।

अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू के अनुसार झारखंड के राज्य सरकार की संवैधानिक अपनी मजबूरी हो परंतु पूरे देश के अधिवक्ताओं को देश हित में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के वकीलों के साथ खड़े होकर इस काले कानून का विरोध करना चाहिए।

असल में अंग्रेजों के भक्ति करने वाले एवं पेंशन पाने वाले यह लोग देश में नई प्रकार की राष्ट्रभक्ति का वातावरण बनाना चाहते हैं। जिससे नई पीढ़ी उनके इतिहास से अवगत नहीं हो सके और इन्हें देशभक्त समझे। जो अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति दिलाने का प्रयास कर रहे हैं।

Thanks for your Feedback!

You may have missed