BIRTH ANNIVERSARY OF JYOTI BASU : जानें भारतीय मार्क्सवादी सिद्धांतकार, कम्युनिस्ट कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ और भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक ज्योति बसु की कहानी…

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:ज्योति बसु का जन्म एक समृद्ध और शिक्षित परिवार में हुआ था। उनके पिता, निशिकांत बसु, एक डॉक्टर थे और उनकी माता, हेमलता बसु, एक गृहिणी थीं। बसु ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता के सेंट जेवियर स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज, कोलकाता से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। बसु ने इंग्लैंड के लंदन विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई करने के लिए दाखिला लिया, जहां वे कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित हुए।ज्योति बसु ने अपनी राजनीतिक यात्रा 1940 के दशक में शुरू की। वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के सदस्य बने और जल्दी ही एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे। 1946 में, वे बंगाल विधान परिषद के सदस्य चुने गए और 1952 में पहली बार पश्चिम बंगाल विधान सभा के लिए चुने गए।

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1964 में, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन हुआ और ज्योति बसु ने CPI(M) (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी)) का गठन किया। बसु CPI(M) के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और पार्टी के पहले पोलित ब्यूरो के सदस्य भी बने।

ज्योति बसु देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे जो लगातार 25 साल तक किसी राज्य के मुख्यमंत्री बने रहे. शायद यही वजह रही कि उनका कद एक राष्ट्रीय स्तर तक जाता दिखने लगा था. उनका राष्ट्रीय राजनीति में एक अलग कद बन गया था. लेकिन वे ना तो नेहरू या किसी बड़े राष्ट्रीय नेता की तरह करिशमाई व्यक्तित्व के धनी थे, ना ही उनमें जेपी जैसा औरा था जो लोगों को उनकी ओर खींच सके. ना ही उनके पास ऐसी कोई राजनैतिक कार्यक्रम या नीति थी जो देश भर में लोगों को लुभा पाती.

ज्योति बसु मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख नेता तो रहे ही, राष्ट्रीय राजनीति में भी बंगाल और देश के वामपंथ के प्रमुख नेता के तौर पर जाने जाते रहे. 1990 के दशक में जब कांग्रेस के हाथ से बहुमत दूर हुआ और बाकी दल बड़ी पार्टी के रूप में स्थान नहीं बना सके तब देश के केंद्र में गंठबंधन सरकारों का दौर चला. गंठबंधन सरकारों के दौर में वामपंथी दलों के लिए आसान दौर नहीं था क्योंकि उन्हें कई विपरीत विचारधारा वाले दलों से तालमेल करना पड़ा था. लेकिन फिर भी छोटे-छोटे दलो के बीच बसु की माकपा एक प्रभावी दल के रूप में सामन आई।

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