जेल में हत्या के आरोपी दादा दादी के संग पिता के अपराध की सजा काट रही चार वर्ष की मासूम जिंदगी आर्या,समाजसेवियों ने शुरू की मुक्त करने की पहल

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सासाराम:- चार वर्ष की नन्ही सी कली आर्या इन दिनों अपने पिता की करतूत की सजा भुगत रही है। करीब विगत ढेड़ सप्ताह से अधिक समय से उप करा बिक्रमगंज में बंद है।इस मासूम सी दिखने वाली बच्ची को यह भी पता नही होगी कि वह किस अपराध की सजा हवालात में बंद होकर काट रही है।उल्लेखनीय है कि नटवार थाना काण्ड सऺ० 74/2021 के तहत पति मुकेश तिवारी के ऊपर अपनी ही पत्नी पुनम देवी का हत्या करने का आरोप है।इस मामले में मुकेश के पिता लक्ष्मण तिवारी व माँ आशा देवी को भी हत्या का आरोपी बनाया गया है।बताया जाता है कि बढ़ते पुलिस दविश के कारण  नटवार थाना क्षेत्र के बिरौआ कला (तिवारी टोला)निवासी व अभियुक्त लक्ष्मण तिवारी( दादा) एवं आशा देवी (दादी) 4 वर्षीय नातिन आर्या के संग एसिजेएम 4 बिक्रमगंज के न्यायालय में बीते सप्ताह सरेंडर किया था।

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न्यायालय ने हत्यारोपी दादा दादी के साथ आर्या को भी जेल भेज दिया।मासूम जिंदगी का भविष्य सवारने को लेकर अधिवक्ता सहित समाजसेवियों ने सामाजिक पहल करना शुरू कर दिया है।हालांकि कोर्ट बंद है इसलिए न्यायालय से गुहार अभी किसी पक्ष ने नही लगाया है।सिविल कोर्ट के बिक्रमगंज के अधिवक्ता उमेश प्रसाद मिश्रा ने बताया कि 4 वर्ष की बच्ची आर्या के मामले में जेल प्रशासन  जेल मैनुअल कि धजिया उड़ा रही है।जेल मैनुअल  चैप्टर 24 के नियम 26 से 34 तक में किसी कैदी के  माॅं को अपने 6 वर्ष तक के बच्चे को साथ जेल में रखने का प्रावधान है। जिसके अनुसार जेल प्रशासन की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह महिलाओं के कैद खाने से जुड़े हुए शिशु को घर तथा नर्सरी स्कूल की व्यवस्था करें, जहाॅं  माॅं अपने 3 वर्ष तक की उम्र के बच्चे को शिशु घर में  या 3 से 6 वर्ष तक के बच्चे को नर्सरी स्कूल में कर सके देख-भाल जेल मैनुअल में बच्चे के लिए मौसम के अनुकूल कपड़ों, रेगुलर मेडिकल जाॅंच और आहार की व्यवस्था भी जेल प्रशासन के जिम्मेदारी होता है।

प्रश्नगत मामले में एक तो कैदी महिला उस बच्ची की माॅं नहीं है। वल्कि दादी है। जिस वजह से उस बच्ची को जेल में एडमिट करना ही जेल मैनुअल का खुलेआम उलंघन है।जबकि उस बच्ची को जेल मैनुअल के मुताबिक नही मिल रही कोई सुविधा नही मिल रहा है।उक्त बच्ची विगत 15 दिनों से जेल में बंद है।उन्होंने बताया कि एफआईआर में मुकदमे के सूचक और उक्त बच्ची के नाना का मोबाइल नंबर दिया हुआ है। जिसके माध्यम से बच्ची की दादी आशा देवी के साथ उक्त बच्ची को जेल में भेजते समय उन्हें बुलाकर जेल प्रशासन उक्त बच्ची को उसके नाना-नानी को सौंप सकता था।परन्तु अपनी जिम्मेदारी निभाई और न ही उक्त बच्ची पर दया आई। उक्त अबोध बच्ची के मानस पटल पर इसका दूष्प्रभाव पड़ने की संभावना जताते हुए कहा कि  कानूनन किसी नाबालिक बच्ची को वगैर किसी आरोप के एक सेकेंड के लिए भी जेल में रखना बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम के साथ-साथ मानवाधिकार का खुल्लम-खुल्ला उलंघन है।उधर जेल आई. जी बिहार मिथिलेश मिश्र ने बताया कि इस मामले की गहन जांच कराई जाएगी और दोषी पाये जाने पर जेल पदाधिकारी के विरुद्ध करवाई किया जायेगा।

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