जानिए जमशेदपुर की कुछ रोचक बातें: हैरान रह जायेंगे पूरा इतिहास जानकर…
लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :- वर्ष 1928 में सरायकेला नरेश ने खरकई नदी के पश्चिमी तट पर जमशेदपुर के उस पार आदित्यपुर गांव बसाया था।
झारखंड के कोल्हान प्रमंडल के पूर्वी सिंहभूम जिले के मुख्यालय जमशेदपुर शहर का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। यहां के कण-कण में कई कहानियां छिपी हैं। इस शहर पर दर्जनों किताबें लिखी गई हैं। समय के साथ जमशेदपुर तेजी से बदल रहा है। जानिए जमशेदपुर से जुड़ी रोचक बातें जो आपको हैरान कर सकती है।
वर्ष 1910 तक स्वर्णरेखा नदी पर बांध तथा पंप हाउस बनने से पूर्व तक लकड़ी के पीपों में पानी भरकर भिश्ती लाते थे और राशन की तरह लोगों में बांटते थे।
– वर्ष 1916 तक साकची में ही हर रविवार को बाजार या हाट लगता था। बिष्टुपुर के लोग भी यहीं खरीदारी करने आया करते थे। बाद में टाटा कंपनी ने बिष्टुपुर बाजार विकसित किया।
वर्ष 1916 में टाटा कंपनी ने लोगों की सुविधा के लिए कालीमाटी स्टेशन यानी वर्तमान टाटानगर स्टेशन से बिष्टुपुर के बीच बस सेवा शुरू की। उस समय पांच रुपये में पूरी बस किराए पर मिल जाती थी।
वर्ष 1924 में शुद्ध दूध और मक्खन के लिए फंड जमाकर मॉडल डेयरी खोला गया, लेकिन नहीं चला। बाद में इसे टिस्को ने खरीद कर टिस्को डेयरी नाम दे दिया।
– वर्ष 1922 में एक डच कंपनी ने शहर में स्वर्णरेखा किनारे सीमेंट पाइप तथा ह्यूम पाइप बनाने की शुरुआत की थी।
वर्ष 1925 में टाटा कंपनी ने एग्रीको को खरीद लिया था। पहले इसका नाम एग्रीकल्चरल इम्पलीमेंट्स हुआ करता था। टाटा ने इसे खरीदने के बाद अपना विभाग बना लिया।
वर्ष 1928 में सरायकेला नरेश ने खरकई नदी के पश्चिमी तट पर जमशेदपुर के उस पार आदित्यपुर गांव बसाया था। तब यहां मात्र कुछ झोपडिय़ां हुआ करती थीं।
– वर्ष 1941 में आदित्यपुर में कारोबार शुरू करनेवाले सागरमल खेमका एकमात्र राजस्थानी हुआ करते थे। करीब पंद्रह से बीस वर्षों तक अकेले राजस्थानी थे।
– वर्ष 1981 में कराए गए जनगणना के अनुसार जमशेदपुर की आबादी करीब आठ लाख हुआ करती थी। वहीं आवासीय घर करीब सवा लाख थे।
– वर्ष 1958 में उद्घाटित शहर का जुबली पार्क तीन सौ एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इसके निर्माण पर करीब 21 लाख रुपये खर्च हुए थे।
– वर्ष 1960 के आसपास जमशेदपुर शहर के उत्तर पूर्व हिस्से में बारीडीह बाजार विकसित हुआ था। अब यहां अच्छा-खासा बाजार दिख जाएगा।