Jharkhand Famous Temple: शिवगादी “ बाबा गाजेश्वर नाथ धाम ” जिसे झारखंड के मिनी बाबा धाम से भी जाना जाता है…

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:संथाल परगना का दूसरा बाबा धाम के रूप मे प्रसिद्ध बाबा गाजेशवर नाथ ” शिवगादी ” का दर्शनीय और पोराणिक पूज्यनीय मंदिर प्रकृतिक के क्रीडा स्थली राजमहल की पहाड़ीयो मे मनोरम दृश्यो एवं झर-झर गिरते झरने की नैसर्गिक सोन्दर्य के बिच एक गृहा गुफा मंदिर है। यह मंदिर झारखण्ड प्रान्त के सहेबगंज जिला अन्तर्गत बरहेट प्रखण्ड से 6 km की दूरी पर उत्तर की ओर अवस्थित है।

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बाबा गाजेश्वर नाथ धाम मंदिर के गर्भ गृह (गुफा) प्रवेश द्वार के ऊपर बिलकुल सीधा उठा हुआ पर्वतराज एक विशाल गजरा की तरह प्रतित होता है। विशाल पर्वत निहीत इस गृहा गुफा के प्रवेश द्वार के ऊपर विद्यमान दुर्लभ अक्षय वट वृक्ष भारत भारत वर्ष में बोध गया के बाद यहाँ पाए गए है। इस वट वृक्ष की जड़े प्रवेष द्वार के बाँई ओर मंदिर सतह तक फैली हुई है। जो देखने से लगता है मानो भगवान शंकर के जटाएँ लहलहा रही है।

ऐसी मान्यता है की इस कल्पतरु के जड़ में पत्थर बाँधने से बाबा गाजेशवर नाथ अपनी भक्तो की सारी मनोकामनाओ को अवश्य पूर्ण करते है। इसके बगल में झर-झर गिरते हुए झरने भगवान शंकर के जटा से अविरल बहते हुए गंगा की धारा का अहसास दिलाते है। ऐसा लगता है भगवान शंकर गंगा की वेग को अपनी जटा में समेट कर मंद – मंद कर अमृत जल पृथ्वी पर प्रवाहित कर रहे है।

गर्भ गृह (गुफा) मे प्रवेश करने के पश्चात बाबा गाजेशवर नाथ महादेव के पीताम्बरी शिवलिंग की दर्शन होते है। शिवलिंग के ठीक ऊपर की चट्टानों से बारहो महीने बूंद – बूंद कर जल टपकते रहता है। ऐसा प्रतीत होता है प्रकृति स्वंय ही निरंतर भगवान शंकर का जलाभिषेक करती रहती है। शिवलिंग के ठीक सामने मैया पार्वती एवं शिव के वाहन नंदी का प्रतिमा स्थापित है।

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मंदीर के बाहर दाँयी ओर एक दूसरी सिढि जो शिवगंगा तक गयी है। यहाँ एक चट्टान पर नन्दी बैल के दो पैर के निशान है। खुर रूपी गर्त मे सालो भर यहाँ तक की चिलचिलाती गर्मी में भी पानी विद्यमान रहता है जो शिवगंगा के नाम से जाने जाते है। शिवगादी मे आने वाले भक्त शिवगंगा का दर्शन करना नही भुलते।

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