जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी के आईक्यूएसी सेल द्वारा ‘नैक एक्रेडिटेशन प्रोसेस – ऑपर्च्युनिटीज एंड चैलेंज’ पर कार्यशाला का किया गया आयोजन
जमशेदपुर : जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में आईक्यूएसी सेल ने ‘नैक एक्रेडिटेशन प्रोसेस – ऑपर्च्युनिटीज एंड चैलेंज’ पर वर्कशॉप का आयोजन किया। कार्यशाला की अध्यक्ष कुलपति प्रो.(डॉ.) अंजिला गुप्ता, रिसोर्स पर्सन प्रो.(डॉ.) मंजुश्री गुप्ता, आईक्यूएसी कोऑर्डिनेटर, गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज, अजमेर, राजस्थान, रजिस्ट्रार डॉ. राजेंद्र कुमार जयसवाल तथा आईक्यूएसी डायरेक्टर ने दीप प्रज्वलन के साथ शुभारंभ किया। सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत झारखंड राज्य की संस्कृति के अनुरूप चित्रित शॉल, प्रतीक चिन्ह एवं जीवंत पौधों के साथ किया गया। स्वागत भाषण आईक्यूएसी डायरेक्टर डॉ. रत्ना मित्रा ने किया। कार्यशाला की संसाधन सेवी का परिचय यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टर डॉ. सुधीर कुमार साहू के द्वारा किया गया।
रिसोर्स पर्सन प्रो.(डॉ.) मंजुश्री गुप्ता ने नैक के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि नैक एक्रेडिटेशन यूनिवर्सिटीज के क्वालिटी एजुकेशन की ट्रेडमार्क होती हैं। विद्यार्थियों को पता चल जाता है कि किन संस्थानों में बेस्ट प्रैक्टिसेज चल रहीं हैं और नामांकन के बाद कहां उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल जायेगी। साथ हीं नैक एक्रेडिटेशन संस्थानों के फंडिंग के लिए भी आवश्यक होती है। उन्होंने फ्लोचार्ट के माध्यम से पहले चरणबद्ध प्रक्रिया को समझाया एवं सात क्राइटेरिया को यूनिवर्सिटी के फैकलटीज के सामने रखा। प्रत्येक क्राइटेरिया को विस्तार से पीपीटी के माध्यम से समझाते हुए उन्होंने आगाह किया कि क्राइटेरिया पर खरा उतरने की जिम्मेदारी केवल आईक्यूएसी सेल की नहीं है बल्कि संस्थान के सभी विभागों, अधिकारियों एवं कर्मियों की है। सब मिलकर कार्य करेंगे तभी अच्छे ग्रेड की आशा की जा सकती है। उन्होंने इस बात के लिए प्रशंसा की कि जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी अपनी स्थापना के केवल एक साल में हीं न केवल नैक के अनुरूप कार्य कर रहा है बल्कि डॉक्यूमेंटेशन पर भी ध्यान दे रहा है। उन्होंने जियोटैग के साथ फोटो की आवश्यकता को बताया और मोबाइल में भी सबको इसके साथ फोटो खींचना भी सिखाया। केयर लिस्टेड जर्नल में पब्लिकेशन, एक्टिविटीज, सेमिनार, कांफ्रेंस का रिकॉर्ड रखना अवश्य है। उन्होंने डाटा वैलीडेशन एंड वेरिफिकेशन (डीवीवी) के साथ सेल्फ स्टडी रिपोर्ट (एसएसआर) एवं एनुअल क्वालिटी एश्यूरेंस रिपोर्ट (एक्यूएआर) को विस्तार से बताया।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रो.(डॉ.) अंजिला गुप्ता ने यूनिवर्सिटी के शुरुआत से ही नैक की जरूरतों के मुताबिक कार्य करने के लिए सभी अधिकारियों, प्राध्यापक एवं प्राध्यापिकाओं को बधाई दी और भविष्य में भी सभी तरह की गतिविधियों को सुचारू पूर्वक संचालित करने के साथ साथ डॉक्यूमेंटेशन के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि नैक के सभी सात क्राइटेरिया के लिए यूनिवर्सिटी में अलग अलग प्रभारियों को नियुक्त कर दिया गया है और आईक्यूएसी के साथ कोऑर्डिनेशन करते हुए हम सभी सात क्राइटेरिया पर आदर्श स्थिति को प्राप्त करेंगे, ऐसा पूर्ण विश्वास है।
धन्यवाद ज्ञापन अंगेजी विभाग की प्राध्यापिका डॉ. मनीषा टाईटस ने किया। मंच का सफल संचालन हिंदी विभाग की प्राध्यापिका डॉ. नूपुर अंविता मिंज ने किया। कार्यशाला में यूनिवर्सिटी के सभी अधिकारी, पदाधिकारी, प्राध्यापक एवं प्राध्यापिकाएं उपस्थित रहीं।