Adityapur: बाहा बोंगा पर्व में थिरके मंत्री चम्पई सोरेन, कहा ओलचिकी की पढ़ाई अब प्राथमिक विद्यालयों में होगी. देखें.video..

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Adityapur: सरायकेला ज़िले के आदित्यपुर में स्थित फुटबॉल मैदान में आदिवासियों का प्रमुख त्योहार बाहा बोंगा परंपरागत तरीके से मनाया गया. बाहा पर्व समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में राज्य के आदिवासी कल्याण एवं परिवहन मंत्री चंपई सोरेन शामिल हुए जहाँ इन्होंने तमाम लोगों को प्रकृति पर्व बाहा बोंगा की शुभकामनाएं दी.

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देखें video झूमते मंत्री चम्पई सोरेन…

वही बाहा पर्व में मांझी बाबा दीकूराम मांझी ने जाहेरथान में मरांग बुरु की विधिवत पूजा की. दिनभर चले कार्यक्रम में आदिवासी समाज के लोग ढ़ोल -नगाड़े के साथ नृत्य करते हुए जाहरेथान पहुंचे जहां पूजा अर्चना किया. इसके बाद शाम में आदित्यपुर के फूटबॉल मैदान में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

 देखें video स्वागत करते हुए….

इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राज्य के आदिवासी कल्याण सह परिवहन मंत्री चम्पई सोरेन शामिल हुए. अपने संबोधन में मंत्री ने कहा कि बाहा बोंगा प्रकृति से जुड़ा पर्व है. इसमें पर्यावरण संरक्षण का संदेश छिपा है. आदिवासी समाज के लोग प्राचीन काल से ही प्रकृति के बीच निवास करते आ रहे हैं. इस त्योहार में साल वृक्ष व उसके फूल की पूजा की जाती है.

देखें video संबोधित करते हुए….

मंत्री ने कहा कि झारखंड की हेमंत सरकार आदिवासी हितों में काम कर रही है. आदिवासी परंपरा और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में भी सरकार काम कर रही है. राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में अब ओलचिकी लीपी की पढ़ाई भी शुरू की जा रही है. वहीं मांझी बाबा और नायके बाबा को सरकार की तरफ से सुविधाएं दी जाएंगी.

बता दे मंत्री ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए बाहा बोंगा पर्व महत्व के बारे में बताया. उन्होने कहा कि प्राचीण काल में हमारे पूर्वज सरनावीर के रूप में देश की जंगलो की रक्षा करते थे. माघ महीना में जो घर टूट जाता था, जंगलों की लकड़ी से बगैर प्रकृति को क्षति पहुंचाए घर का जिर्णोधार किया जाता था. कार्यक्रम के दौरान मशहूर संथाली गायक ओड़िसा के भोंज दिशोम वरियल हेम्ब्रम, आशा मुर्मू, अलीबा मार्डी, लोगन मार्डी आदि ने संथाली गीतों का समां बांधा. आयोजन को सफल बनाने में कुंजू सोरेन, हरमोहन टुडू, वैद्यनाथ हांसदा, सुधाकर हांसदा, अमित सोरेन, मदन हांसदा, रवीन्द्र बास्के, हरिमोहन बास्के आदि का योगदान रहा.

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