नवरात्री के तीसरे दिन माँ दुर्गा के तीसरे शक्ति “चन्द्रघण्टा देवी” के स्वरूप की होती है पूजा

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जमशेदपुर: नवरात्री के तीसरे दिन माँ दुर्गा के तीसरे शक्ति “चन्द्रघण्टा देवी” के स्वरूप को पूजा जाता है। शिव महा पुराण में देवी के इस स्वरुप को शांतिदायक और कल्याणकारी बताया गया है। जब माँ शंकर जी को पति के रूप में प्राप्त कर लेती है तब वह आदिशक्ति के रूप में देवी चन्द्रघण्टा का स्वरूप लेती है। माँ शिव की शक्ति है,भगवान शिव के प्रत्येक पहलु शक्ति के साथ इसीलिए अर्धनरिश्वर है।माँ राक्षसों से युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहती है, इसीलिए उनको चन्द्रखंड, चंडीका और रणचंडी के नाम से भी जाना जाता है।

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ऐसा मना जाता ही माँ चन्द्रघण्टा का पूजा अर्चना से मन को अलौकिक शांति प्रदान होता है वंदना से परम सुक्षम ध्वनि सुनाई देती है जो हमारे अंतर्मन को शांति प्रदान करती है। आसुरी शक्तिओं से लड़ने के लिए माँ सदैव तत्पर रहती है। इसीलिए इनकी आराधना से आंतरिक शक्तियों का अनुभव होता है।

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