आरबीआई ने दिया बड़ा झटका, रेपो रेट में फिर की गई बढ़ोतरी, कर्ज लेना होगा महंगा

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RBI Monetary Policy Announcements:  रिजर्व बैंक ने आज अपनी मौद्रिक नीति के ऐलान कर दिया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ग्लोबल महंगाई पर चिंता व्यक्त करते हुए रेपो रेट को 0.50 फीसद बढ़ाने का ऐलान किया। रेपो रेट अब 4.90 से बढ़कर 5.40 फीसद पर पहुंच गया है। केंन्द्रीय बैंक की ओर से कहा गया है कि फैसला वर्तमान प्रभाव से ही लागू होगा। बीते तीन अगस्त से इस मामले पर आरबीआई की समिति इस मसले पर मंथन कर रही थी।

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आरबीआई गवर्नर ने तीन दिनों (तीन अगस्त से पांच अगस्त) तक चली एमपीसी की बैठक के बाद इस फैसले का एलान किया है। बता दें कि पिछली बार हुई एमपीसी की बैठक में रेपो रेट बढ़ाने का फैसला लिया गया था। मई महीने में हुई एमपीसी की बैठक में रेपो रेट को 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4.90% कर दिया गया था। स्थायी जमा सुविधा (SDF) 4.65 फीसदी से बढ़कर 5.15 फीसदी और एमएसएफ रेट 5.65 फीसदी हो गई है। रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी से बढ़कर 3.85 फीसदी हो गई है।

मुद्रास्फीति से जूझ रही है भारतीय अर्थव्यवस्था: रिजर्व बैंक गवर्नर

शक्तिकांत दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही है और इसे नियंत्रण में लाना जरूरी है। हालांकि अप्रैल के मुकाबले महंगाई में कमी आई है। ग्रामीण मांग में सुधार दिख रही है। FY2023 के पहले क्वार्टर में GDP ग्रोथ 16.2 फीसद रहने की उम्मीद है। चुनौतियों के बावजूद जीडीपी ग्रोथ 7.2 पर बरकरार है। दास ने कहा, ” मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का भी फैसला किया है।

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भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा आर्थिक नीतियों की समीक्षा के दौरान हर बार रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट जैसे शब्द आते हैं, जिन्हें आम आदमी के लिए समझना थोड़ा मुश्किल होता है। आइए आसान भाषा में जानें रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट का मतलब।

रेपो रेट

इसे आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है। बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं।

रेपो रेट से आम आदमी पर क्या पड़ता है प्रभाव

जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। और यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे। इससे आम आदमी का ईएमआई महंगा होगा। इसे देखते हुए लोग लोन कम लेंगे और कम खर्च करेंगे। इससे बाजार में मांग घटेगी और पूरी प्रक्रिया से महंगाई को नियंत्रित करने से मदद मिलेगी।

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