कारगिल द्रास यात्रा थल सेना के सहयोग से सफलता पूर्वक संपन्न, गौरव सेनानीयों का हुआ सम्मान

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जमशेदपुर:- प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी 26 जुलाई 2022 को हम सब भारतवासी 23 वाँ कारगिल विजय दिवस समारोह मनाएंगे। इस समारोह के दौरान हम सभी भारतवासी उन वीर अमर शहीदों और वीर योद्धाओं को नमन करते हैं जिन्होंने 26 मई से लेकर 26 जुलाई 1999 के दौरान लेह लद्दाख क्षेत्र में कारगिल जिले की दुर्गम पहाड़ियों पर अपनी बहादुरी और पराक्रम से लड़ते हुए पाकिस्तानी सेना के दांत खट्टे किए और उन्हें खदेड़ कर पूर्ण विजय प्राप्त की और देश का तिरंगा झंडा टाइगर हिल पर फहराया। कारगिल का युद्ध 18 हजार फीट की ऊंचाई पर दुर्गम पहाड़ियों पर करीब 2 महीने तक चला था जिसमें भारत के 559 वीर सैनिकों की शहादत देश को देनी पड़ी। 1300 से ज्यादा सैनिक इस युद्ध में घायल हुए थे। पाकिस्तानी सेना के भी करीब 1200 सैनिकों की मौत हुई थी। सेना ने अपने अदम्य साहस और पराक्रम से कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना को खदेड़ा उस पर हम हर देशवासी को गर्व है। जिसकी खुशी पूरे देश में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।

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अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद जो वायुसेना थलसेना और नौसेना से सेवानिवृत्त ऑफीसर्स एवं सैनिकों का एक अखिल भारतीय संगठन है। जो पूरे देश के पूर्व सैनिकों को राष्ट्रहित समाजहित और सैन्यहित में जोड़ने का काम करती है। राष्ट्र के लिये सदैव समर्पित एवं राष्ट प्रथम के घोष वाक्य को चरितार्थ करने के लिये पूरे वर्ष कई कार्यक्रम करती है।जिससे सैनिकों के साथ साथ सिविल समाज एवं युवाओं में राष्ट्र प्रेम का संचार हो। कारगिल द्रास यात्रा का आयोजन सन् 2011 से प्रारंभ हुआ था जो पिछले तीन साल से कोरोना की वजह से बंद थी । इस वर्ष की सेना के सहयोग से कारगिल द्रास यात्रा 2022, 3 जुलाई से 9 जुलाई तक आयोजित किया गया। जिसमें पूरे देश से करीब 45 सदस्य शामिल हुवे।यात्रा के दौरान रास्ते में ऊँची ऊँची पहाड़ियों के बीच दुर्गम चोटियों पर चढ़ने के चुनौतीपूर्ण रास्तों को भारत सरकार के सहयोग से फोर लेन बनाने का काम अति सराहनीय है। जिससे आवागमन सुगम हुआ है। साथ ही बड़ी बड़ी पहाड़ियों को खोद कर लम्बी लम्बी सुरंगे सभी सुरक्षा के मानकों को ध्यान में रखते हुवे बनाया गया है।और अभी भी जोजिला दरा के पास कार्य के प्रगति में है।इसके लिये भारत सरकार भारत, बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के इंजीनियरों एवं बहादुर मजदूरों की जितनी सराहना की जाय कम होगी।

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जिनके प्रयास कश्मीर में दिल्ली से जम्मू, श्रीनगर ,सोनमार्ग द्रास कारगिल से लेह लदाख की सीमाओं की सुरक्षा आसानी से की जा सकेगी। इससे समय के साथ साथ आने जाने में खर्च भी कम होगा। श्रीनगर कोर कमांड एवं लेह कोर कमांड के सीनियर अधिकारियों एवं समर्पित जवानों के सहयोग से कारगिल द्रास यात्रा को सुरक्षित सुखद एवं ऐतिहासिक बनाने में अतुल्य सहयोग मिला। इसके लिये सभी सेना के अधिकारी एवं जवान बधाई के पात्र हैं। यह यात्रा अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल विष्णु कांत चतुर्वेदी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एयर वाइस मार्शल एच पी सिंह, राष्ट्रीय महामंत्री ब्रिगेडियर डी एस त्रिपाठी, नेव्ही के कमांडर बनवारी लाल, जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले के अध्यक्ष मेजर उमाकांत शर्मा, सचिव सार्जेंट यशपाल शर्मा, कैप्टन वेरिंदर सिंह झारखण्ड के प्रदेश महामंत्री सुशील कुमार सिंह दिल्ली से विनय कुमार दास और अन्य अफसरों की अगुवाई में संपन्न हुआ। इस यात्रा के दौरान सर्वप्रथम श्रीनगर के बदामी बाग में शहीद स्मारक जनरल विष्णुकांत चतुर्वेदी द्वारा पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद सैन्य म्यूजियम में अपने वीर योद्धाओं और स्वतंत्र भारतवर्ष की विभिन्न युद्धों के विवरणों, व्याख्यानों एवं युद्ध में प्रयुक्त विभिन्न अस्त्र – शस्त्रों की जानकारी प्राप्त किए। इसके उपरांत सोनमर्ग कैंप से होते हुए हम सभी यात्री द्रास क्षेत्र में बने कारगिल वार मेमोरियल पर अपना श्रद्धा सुमन अर्पित किए, साथ ही जमशेदपुर के नागरिकों द्वारा दिया गया एक एक पुष्प जो पुष्प कलश में ले जाया गया था, उसे राष्ट्रीय अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल विष्णुकांत चतुर्वेदी और पुर्वी सिंहभूम के नायक भोला प्रसाद ने झारखंड के सभी उपस्थित प्रतिनिधियों के साथ अमर शहीदों को समर्पित किया। पूरे टीम की तरफ से कारगिल वार मेमोरियल पर राष्ट्रीय अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल विष्णुकांत चतुर्वेदी द्वारा रिथ चढ़ाया गया और भारतीय सेना ने सलामी दी गई। उसके उपरान्त सभी सदस्यों ने अपने वीर योद्धाओं को नमन कर अपनी पुष्प श्रद्धांजलि अर्पित की एवं अमर शहीदों के सम्मान में दो मिनट का मौन श्रद्धांजलि अर्पित किया। वहीं सभागारों में वीडियो प्रस्तुति एवं व्याख्यानों के दौरान पूरा वातावरण भारत माता की जय, वंदे मातरम, कारगिल के वीर शहीद अमर रहें, भारतीय सेना जिंदाबाद आदि नारों से गूंजता रहा। यह संपूर्ण यात्रा के दौरान सेना की भूमिका अति प्रसंशनीय रहा।

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इस यात्रा के नोडल अधिकारी मेजर रविंद्र मलिक एवं सहायक हवलदार उपेंद्र कुमार थे। इस क्षेत्र की यात्रा, दुर्गम पहाड़ियों के दर्शन, विभिन्न वार मेमोरियल एवं वार म्यूजियम के विवरण, व्याख्यान आदि का अनुभव बहुत ही रोमांचकारी, ऐतिहासिक, अद्भुत और अविस्मरणीय रहा। अपने वीर सैनिक योद्धाओं के पराक्रम, अदम्य साहस से भरी युद्ध गाथाओं को सुनकर हम सब सदस्य गौरवान्वित महसूस किए। युद्ध के बाद पाकिस्तानी क्षेत्र को अपने कब्जे में लेने के बाद वहां सैन्यम्युजियम एवं सेना का कैम्प बनाया जाना हमारे वीर सैनिकों की वीरता की निशानी है। सेना एवं सरकार कश्मीर घाटी में सुरक्षा एवं आम जनता के जन जन जीवन को सुगम बनाने एवं दिग्भर्मित युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने के अनेकों प्रयास हर स्तर पर चल रहा है।लोगों में खुशी का भाव देखने को मिला। ये आने वाले भविष्य में और बेहतर होगा। हम समस्त सदस्य संगठन एवं सेना के आभारी हैं जिसके सहयोग से हमें इस यात्रा में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। निश्चित ही यह यात्रा अपने उद्देश्यों में सफल हुई है, आने वाली पीढ़ियों को कारगिल सहित विभिन्न भारतीय युद्धों, सेना के पराक्रम और अदम्य साहस की गाथाओं को बताने एवं याद कराने की प्रेरणा मिलती है। हम समस्त सदस्य तहे दिल से धन्यवाद देते हैं परिषद के केंद्रीय नेतृत्वकर्ता को, यात्रा के नेतृत्व को, जम्मू कश्मीर क्षेत्र से यात्रा के आयोजन समिति को, भारतीय सेना के समस्त अधिकारियों एवं सैनिक सदस्यों को जिनकी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सहायता एवं सहयोग से यह ऐतिहासिक यात्रा संपन्न हुई।

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