विश्व मानवाधिकार दिवस पर डिमना के सिद्धू-कानू शिक्षा निकेतन में नौवीं कक्षा के विद्यार्थियों के साथ संवैधानिक अधिकारों की चर्चा

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जमशेदपुर :- विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर जमशेदपुर के डिमना क्षेत्र में अवस्थित सिद्धू कानू शिक्षा निकेतन में एक विशेष इंटरेक्शन प्रोग्राम आयोजित किया गया, जिसमें विद्यालय की 9 वीं कक्षा के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया. इस विशेष कार्यक्रम में विशेष तौर पर छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के कुमार दिलीप, आरंभ युवा मंच के अंकुर सारस्वत और जसवा के शशांक शेखर मौजूद थे. विद्यालय के शिक्षक कृष्णा हांसदा ने कार्यक्रम एवं साथियों से विद्यार्थि

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जमशेदपुर :- विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर जमशेदपुर के डिमना क्षेत्र में अवस्थित सिद्धू कानू शिक्षा निकेतन में एक विशेष इंटरेक्शन प्रोग्राम आयोजित किया गया, जिसमें विद्यालय की 9 वीं कक्षा के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया. इस विशेष कार्यक्रम में विशेष तौर पर छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के कुमार दिलीप, आरंभ युवा मंच के अंकुर सारस्वत और जसवा के शशांक शेखर मौजूद थे. विद्यालय के शिक्षक कृष्णा हांसदा ने कार्यक्रम एवं साथियों से विद्यार्थियों का परिचय कराया.

इस अवसर पर कुमार दिलीप ने संविधान की उद्देशिका एवं प्रस्तावना का विस्तृत रूप से ले विश्लेषण किया. उन्होंने बताया कि पिछले 26 नवंबर (संविधान दिवस) से संवैधानिक मूल्यों की रक्षा को लेकर देश में एक सतत अभियान चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत लोगों में संविधान के प्रति गहरी समझ बनाने की कोशिश की जा रही है, ताकि लोग संविधान द्वारा प्रदत अपने अधिकारों को जाने और समझे. इसी क्रम में विश्व मानवाधिकार दिवस पर यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. पूरे राज्य के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी अलग-अलग तरीके से कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.

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मानव अधिकार दिवस बनाने के उद्देश्य पर चर्चा करते हुए जसवा के शशांक शेखर ने कहा कि अधिकारों के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से ही पूरे विश्व में 1950 से ही इसे मनाने का प्रचलन शुरू हुआ था. 12 अक्टूबर 1993 को भारत में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया, जिसके प्रथम अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्र थे. बच्चों को संबोधित करते हुए उन्होंने संविधान के गहन अध्ययन की अपील की. अंकुर सारस्वत ने काफी दिलचस्प ढंग से छात्र-छात्राओं को इंटरेक्ट किया और बड़ी आसानी से संविधान को परिभाषित किया. अंत में संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ किया गया. ज्ञात हो कि उसी के तहत गत 26 नवंबर संविधान दिवस से लेकर आज विश्व मानव अधिकार दिवस तक लोगों में संविधान के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से पहले चरण का यह अभियान चलाया गया. आगे भी निरंतर यह अभियान चलाया जाता रहेगा.

का परिचय कराया.
इस अवसर पर कुमार दिलीप ने संविधान की उद्देशिका एवं प्रस्तावना का विस्तृत रूप से ले विश्लेषण किया. उन्होंने बताया कि पिछले 26 नवंबर (संविधान दिवस) से संवैधानिक मूल्यों की रक्षा को लेकर देश में एक सतत अभियान चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत लोगों में संविधान के प्रति गहरी समझ बनाने की कोशिश की जा रही है, ताकि लोग संविधान द्वारा प्रदत अपने अधिकारों को जाने और समझे. इसी क्रम में विश्व मानवाधिकार दिवस पर यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. पूरे राज्य के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी अलग-अलग तरीके से कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. मानव अधिकार दिवस बनाने के उद्देश्य पर चर्चा करते हुए जसवा के शशांक शेखर ने कहा कि अधिकारों के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से ही पूरे विश्व में 1950 से ही इसे मनाने का प्रचलन शुरू हुआ था. 12 अक्टूबर 1993 को भारत में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया, जिसके प्रथम अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्र थे. बच्चों को संबोधित करते हुए उन्होंने संविधान के गहन अध्ययन की अपील की. अंकुर सारस्वत ने काफी दिलचस्प ढंग से छात्र-छात्राओं को इंटरेक्ट किया और बड़ी आसानी से संविधान को परिभाषित किया. अंत में संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ किया गया. ज्ञात हो कि उसी के तहत गत 26 नवंबर संविधान दिवस से लेकर आज विश्व मानव अधिकार दिवस तक लोगों में संविधान के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से पहले चरण का यह अभियान चलाया गया. आगे भी निरंतर यह अभियान चलाया जाता रहेगा.

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