कावर झील के संरक्षण – संवर्धन हेतु पुष्पम प्रिया चौधरी ने दिया ब्लूप्रिंट
बिहार (बेगूसराय) :-‘जब तक जल और हरियाली है तभी तक जीवन सुरक्षित है’ का दावा करने वाली बिहार की सरकार ने एशिया में ताजे पानी की सबसे बड़ी गोखुर झील और सबसे बड़ा आर्द्रभूमि क्षेत्र वाले कावर झील को सरकारी उपेक्षा वाली धीमी जहर देकर मौत की तरफ धकेल दिया , जो अपनी आखिरी सांसे गिन रहा है. बिहार सरकार ऐसे प्राकृतिक धरोहरों के कब्र पर 24524 करोड़ के जल जीवन हरियाली योजना का उत्सव मना रही है. यह बात आज प्लुरल्स पार्टी की अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी ने जयमंगलागढ़ परिसर में आयोजित कावर संवाद परिचर्चा में कही. यह परिचर्चा कावर झील के संरक्षण- संवर्धन और टूरिस्ट क्षेत्र के रूप में विकसित करने को लेकर की गई थी जिसमें संबंधित सभी भागीदार समूहों ने हिस्सा लिया.
प्लुरल्स की अध्यक्ष पुष्पम ने बिहार सरकार के नीति निर्धारकों को नीति निर्माण के दिशा में चुनौती देते हुए कावर झील के संरक्षण और संवर्धन हेतु एक ब्लूप्रिंट जारी करते हुए कहा कि “जल-जीवन-हरियाली बजट के 20% का 5000 करोड़ का “कावर रेजुवनेशन प्रॉजेक्ट” बनाया जाना चाहिए, उससे 2400 करोड़ में कावर और उसके कैनाल का कम्प्लीट रेस्टोरेशन और बर्ड सैंकचुअरी डेवेलपमेंट, 1000 करोड़ में बेगुसराय में एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट और हॉस्पिटैलिटी एंड टुरिज़म इन्फ़्रास्ट्रक्चर हेतु पूंजी, 500 करोड़ “नेबरहुड ऑर्गैनिक एग्रीकल्चर एंड फार्मर फ़ंड” के लिए, 400 करोड़ “मंझौल ब्लॉक नेबरहुड रुरल डेवेलपमेंट” के लिए, 400 करोड़ “फ़िशरीज़ एंड कम्यूनिटी कैपिटल फ़ंड” के लिए और 300 करोड़ “जयमंगलागढ़ हेरिटेज डेवेलपमेंट एंड ट्रस्ट फंड” के लिए. इस पॉलिसी से 30 महीने में प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन से बेगुसराय में 25000 करोड़ की आय, हज़ारों रोज़गार का सृजन किया जा सकेगा.
पुष्मम प्रिया चौधरी ने बिहार सरकार को आड़े हाथों लेते हुए लिखा “पूरे बिहार में हर जगह यही देखा कि 25524 करोड़ की जल-जीवन-हरियाली परियोजना के नाम पर ठेकेदारी वाले कृत्रिम तालाब की खुदाई की जा रही है लेकिन यहाँ तो एशिया की सबसे बड़ी गोखुर झील मरी जा रही है. यह यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज भरतपुर वेटलैंड से भी तीन गुना बड़ी झील है फिर भी सरकार ने इसे बर्बाद होने दिया. यहां सैकड़ों दुर्लभ प्रवासी पक्षियों, देशी पक्षियों, अनगिनत जीवों और पौधों का अद्भुत स्वर्ग था जिसे सर्वनाश के कगार पर खड़ा कर दिया है. 1989 में 15000 एकड़ क्षेत्र को वेटलैंड और बर्ड सैंकचुअरी नोटिफ़ाई किया गया था अब 30 साल में पूरा वेटलैंड सिकुड़ कर 5000 एकड़ से भी कम का रह गया है.
गंगा और बूढ़ी गंडक नदियों के बीच बेगूसराय जिले में करीब एक हजार एकड़ में फैला कावर झील के बारे में पार्टी के महासचिव अनुपम सुमन ने कहा कि “यह महज़ झील नहीं हैं, यह उस बेगुसराय की लाइफ़लाइन है जो कभी सेंट्रल बिहार की ईकोनोमिक पाइपलाइन हुआ करती थी. लेकिन यह सब आपसे अगले 30 साल में भी नहीं होगा. बिहार सरकार ने धरातल पर कावर झील को मरने दिया इसके कारण इसके आस पास बसी सभ्यता और उनकी आजीविका मृतप्राय हो गई. 1984 में 6786 हेक्टेयर में फैला होने वाला यह क्षेत्र 2012 में 2032 हेक्टेयर में सिमट गया. इसके सिमटते आकर ने न केवल एक झील को मारा बल्कि उम्मीदों औऱ आशाओं को भी मारा. प्लुरल्स की इस ब्लूप्रिंट से पुरातात्विक, प्राकृतिक और धार्मिक बिंदुओ की यह त्रिवेणी बिहार के विकास के नए आयाम स्पर्श करेगी”
कावर झील परिचर्चा के बाद प्लुरल्स पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बेगूसराय हवाई अड्डा उलव पहुंची औऱ इसे व्यावसायिक स्वरूप देने की मांग की. मटिहानी में बाढ़ और कटाव से प्रभावित लोगों से मुलाकात करके उनकी समस्याओं को सरकार के।समक्ष रखने का आश्वासन दिया.
इस अवसर पर पार्टी के प्रेस सचिव मुकेश कुमार, बेगूसराय के जिलाध्यक्ष रंजन कुमार, जिला सचिव सिद्धान्त, चेरिया बरियारपुर से पार्टी की पूर्व उम्मीदवार रही डॉक्टर मधुश्वेता, मटिहानी से पार्टी की पूर्व उम्मीदवार बिन्दु कुमारी, साहिबपुर कमाल के पूर्व उम्मीदवार कौशल किशोर सिंह, प्लुरल्स स्टूडेंट्स फेडरेशन की सुनिधि, प्रखंड प्रभारी चंदन, विनीत, सनमून, विवेक शांडिल्य,अभिजित, संजय, सुदर्शन, नंदन सहित सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे.