भोजपुरी,मगही व हिंदी को झारखण्ड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं में शामिल करने की मांग, एकता विकास मंच झारखण्ड हाईकोर्ट में करेगा पीआइएल.

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जमशेदपुर:-  झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने भोजपुरी, मगही व हिंदी को क्षेत्रीय भाषा से हटा दिया है। इससे यहां के एक मजबूत और अधिक जनसंख्या को किनारे पर डालने की राजनीति साजिश की गई है। यह आरोप एकता विकास मंच ने लगाया है। अब मंच ने इसे लेकर झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने की घोषणा की है।

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मंच का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि मगही भोजपुरी और हिंदी भाषी वालों का अस्तित्व खत्म किया जा सके। इसको लेकर एकता विकास मंच के पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं में काफी आक्रोश है। एकता विकास मंच आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर इसको लेकर शीघ्र ही हाईकोर्ट में पीआइएल करेगा ताकि हिंदी मगही भोजपुरी को क्षेत्रीय भाषाओं में राज्य कर्मचारी चयन आयोग में शामिल कर लोगों को नियोजन के परीक्षाओं में शामिल किया जा सके। इसको लेकर एकता विकास मंच सभी क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाएगा ताकि लोगों में सरकार के प्रति जो दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है। उसे जगजाहिर कर लोगों को बताया जा सके कि झारखंड में कैसे भेदभाव की रणनीति के तहत कार्य हो रहे हैं।

सरकार ने 12 क्षेत्रीय व जनजातीय भाषा को  दी स्वीकृति

मंच के केंद्रीय अध्यक्ष एके मिश्रा का कहना है कि पांच अगस्त को झारखंड कैबिनेट की बैठक में झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं के लिए कुल 12 क्षेत्रीय व जनजातीय भाषाओं को चिन्हित कर स्वीकृति दी गई। इसमें पलामू प्रमंडल के तीन जिलों तथा चतरा जिले में प्रमुखता से उपयोग की जाने वाली क्षेत्रीय भाषा भोजपुरी, हिंदी व मगही को शामिल नहीं किया गया है। भोजपुरी तथा मगही हिंदी भाषाओं को क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में सम्मिलित नहीं किए जाने से लोगों में काफी रोष है। झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं में पलामू प्रमंडल के तीनों जिलों तथा चतरा जिले के अभ्यर्थियों को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में भोजपुरी मगही तथा हिंदी भाषा को शामिल किया जाए। ज्ञात हो कि झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं में झारखंड राज्य से मैट्रिक व इंटर पास छात्र ही शामिल हो सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में बिहार और उत्तरप्रदेश के अभ्यर्थियों के शामिल नहीं होने के लिए यह रणनीति के तहत नियम बनाई गई है।

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मुख्यमंत्री से किया आग्रह

एकता विकास मंच ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह किया है कि 15 नवंबर 2000 की पूर्व संध्या तक झारखंड में निवास करने वालों सभी अभ्यर्थियों को शामिल किया जाए। राज्य के विभिन्न जिलों में भोजपुरी, हिंदी तथा मगही भाषा प्रमुखता से प्रचलन में है। मुख्यमंत्री से एकता विकास मंच का विनम्र आग्रह है कि उपरोक्त बिंदुओं पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर भोजपुरी हिंदी तथा मगही भाषाओं को क्षेत्रीय भाषाओं की स्वीकृत सूची में शामिल करने का निर्देश निर्गत करें, अन्यथा एकता विकास मंच बाध्य होकर आंदोलन करने एवं कोर्ट जाने के लिए मजबूर होगा।

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