World Earth Day 2024: कैसे होते हैं इको-फ्रेंडली बर्तन और क्यों पर्यावरण के लिए जरूरी है इनका इस्तेमाल…

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:-हर साल 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस (World Earth Day 2024) सेलिब्रेट किया जाता है। लगातार बढ़ रही ग्लोबल वार्मिंग के चलते धरती को बेहतर बनाने वाले इको-फ्रेंडली ऑप्शन्स के बारे में बात करना अब काफी जरूरी हो गया है। यह दिन समाज में पृथ्वी और प्रकृति के महत्व को लेकर जागरूकता बढ़ाने का है। ऐसे में आइए आज आपको इको-फ्रेंडली बर्तनों के बारे में बताते हैं।
22 अप्रैल को दुनियाभर में हर साल विश्व पृथ्वी दिवस (World Earth Day 2024) मनाया जाता है। बता दें, कि आने वाली पीढ़ी को बेहतर हवा-पानी देने के लिए ही नहीं, बल्कि खुद की सेहत के लिए भी पृथ्वी का ख्याल रखना काफी जरूरी है। लोगों को प्रकृति के महत्व को लेकर जागरूक करना ही इस दिन को मनाने का मकसद है। आइए इस मौके पर आपको इको-फ्रेंडली बर्तन (Eco Friendly Utensils) और आज के समय में इनकी जरूरत के बारे में बताते हैं।
समय की मांग हैं इको-फ्रेंडली बर्तन
दिन-ब-दिन बढ़ रही ‘ग्लोबल वार्मिंग’ और ‘क्लाइमेट चेंज’ जैसी समस्याओं के चलते वैश्विक स्तर पर बड़ी परेशानी खड़ी हो रही है, जो आगे चलकर धरती पर रहना भी दूभर कर सकती है। ऐसे में हमें लाइफस्टाइल में कुछ जरूरी बदलाव करने काफी जरूरी हो जाते हैं। अब चूंकि खानपान ही नहीं, इसके लिए इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक या थर्मोकोल आदि के बर्तन भी हमारे आस-पास के वातावरण को खराब करने का काम करते हैं, ऐसे में इको-फ्रेंडली बर्तनों का यूज वक्त बड़ी मांग बन गया है।
कैसे होते हैं ईको फ्रेंडली बर्तन?
ईको फ्रेंडली बर्तनों को समझने लिए आपको सबसे पहले इस शब्द के मतलब को समझना होगा। ईको फ्रेंडली यानी पर्यावरण के अनुकूल, ऐसे में पृथ्वी को होने वाले नुकसान को रोकने में मदद मिलती है और जल, वायु और भूमि प्रदूषण को भी कम किया जा सकता है। यह हमारे आसपास के वातावरण को खराब नहीं करते हैं और शरीर के लिए भी विषैले साबित नहीं होते हैं।

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क्या हैं इसके ऑप्शन्स?
इको-फ्रेंडली बर्तन के ऑप्शन्स की बात करें, तो इसमें उन्हीं चीजों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाता है, जो लिए प्रकृति से मिलें हों या इस्तेमाल के बाद इसमें मिल जाने में बाधा न बनते हों। जैसे- गन्ने, बांस या फिर अन्य पेड़-पौधों के पत्ते या उनकी लकड़ी से बनने वाले प्रोडक्ट। बता दें, कि इन्हें डिस्पोज करने में परेशानी नहीं होती है, ऐसे में भले ही ये थोड़े महंगे होते हों, लेकिन ये न सिर्फ पर्यावरण को बचाने में अपना योगदान देते हैं, बल्कि आपको भी कैंसर जैसी बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचा सकते हैं।

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