जब जीवन के बारे में सोचता हूं, तो मृत्यु को केंद्र में रखकर सोचता हूं, “ऑन द अदर साइड” नाटक का सफल मंचन
जमशेदपुर : सिदगोड़ा स्थित लाइब्रेरी में मुक्ताकाश नाटकों की श्रृंखला में हिंदी नाटक “ऑन द अदर साइड” मस्कल थियेटर द्वारा नाट्य प्रस्तुति किया गया.
इस नाटक का विषय मनुष्य जीवन के महत्वता को दर्शाना है, जो अपने जीवन की उपयोगिता अन्धकार में धकेलता चला जा रहा है. नाटक के आरम्भ में एक अभिनेता मंच का चक्कर लगाता दिखता है जो जीवन के अलग-अलग अवस्था को इंगित करता है, हर चक्कर के साथ जीवन और मुश्किल होता दिखता है और वो अपना जीवन समाप्त करने का फैसला करता है, मृत्यु के बाद शुरू में तो वह शून्यता की स्थिति का आनंद लेता है लेकिन वहां भी कुछ है जिसमे वो उलझा है, साथ ही उसका एक और ब्यक्ति का सामना होता है जो इस स्थान पर उससे पहले से है। वे दोनों इस गहरे शून्य से लड़ने के लिए संघर्ष करते हैं, लेकिन वे उस स्थिति से किसी भी तरह से बाहर नहीं निकल पाते, तब उन्हें जीवन मूल्यों का एहसास होता है। नाटक इस उम्मीद के साथ समाप्त होता है कि एक दिन मनुष्य उन्हें बचाने के लिए कोई तकनीक का आविष्कार करेगा।
इस नाटक के लेखक व निर्देशक ज्ञानदीप ने बताया की जब जीवन के बारे में सोचता हूं, तो मृत्यु को केंद्र में रखकर सोचता हूं, क्योंकि निजी तौर पर मेरा मानना यह है, कि जब आप मृत्यु को ध्यान में रखकर जीवन को देखते हैं ,तो वो ज्यादा पारदर्शी दिखता है, जब मैंने इस नाटक का लेखन तथा निर्देशन के लिए सोचा तो मैंने पहले के छपे हुआ किसी नाटक को नहीं करना चाहता था, मैं चाहता था जो भी बने हम सब के अन्वेषण से बने, इस नाटका का बीज एक सवाल से पड़ी और वो थी ” मृत्यु के बाद क्या होगा होता होगा?” तो इससे और भी कई सवाल आए, लेकिन मृत्यु के बाद क्या होता है यह कोई बता सकता है क्या? नहीं ना? हम सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं और जब हमने सवालो को समेटना शुरू किया तो वह सिमटकर मेरी जिज्ञासा पर आकर रुकी जो कुछ समय पहले से मेरे अंदर थी, तो इस तरह से एक नाटक ने आकार लिया, जिसमें हमारी कोशिश यह रही कि मृत्यु के माध्यम से हम जीवन को दिखा सके, अब हम इस में कितना सफल हुए इसका निर्णय दर्शकों पर छोड़ ना ज्यादा उचित रहेगा । अभिनेता – प्रेम शर्मा और विनय आनन्द नाट्य प्रकास संचालन – मोहित कुमार सिन्हा संगीत संचालन – अमन कुमार पोषक सज्जा – गार्गी एवं उषा शर्मा मंचसजा/प्रोजेक्टर – मो0 कामरान रूपसजा – निशान नाटक में विशेष सहयोग – अनमोल, प्रदीप रजक, चन्दन, सुमन पूर्ति, नाटक में नाट्य संयोजक अंकुर सारस्वत ने किया.