जमशेदपुर – भोजपुरी भवन गोलमुरी में जलेस, प्रलेस और जसम के तत्वावधान में संयुक्त रूप से डॉक्टर मैनेजर पांडेय को श्रद्धांजलि दी गई । सर्वप्रथम उनकी तसवीर पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई । सबसे पहले उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा – ‘रामविलास शर्मा के बाद मैनेजर पाण्डेय अकेले ऐसे आलोचक हैं जिन्होंने गैर साहित्यिक विषयों पर लिखा ।
उन्होंने कहा कि साहित्य के अलावा अर्थशास्त्र और समाज शास्त्र पर उनके लेखों और किताबों की भूमिकाओं को पढ़ने के बाद आश्चर्य होता है कि एक हिन्दी के आलोचक ने यह लिखा है । शशि कुमार ने अपनी बात रखते हुए कहा कि जिस तरह किसान आंदोलन ने सैकड़ों कवि और गायक पैदा किए उसी तरह मैनेजर पाण्डेय जैसा आलोचक भी प्रगतिशील आंदोलन की ही उपज हैं । शैलेन्द्र अस्थाना ने मैनेजर पाण्डेय को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मैनेजर पाण्डेय ने भक्तिकाल और रीतिकाल को एक अलग दृष्टि से देखा और उन पर काम किया।
सुधीर सुमन ने उन पर बोलते हुए कहा कि वे निराशा में भी आशा की किरण ढूँढ लेते थे । और एक समय सत्ता ने उनको बड़ा परेशान किया था । वे सदा साझा संघर्ष को प्राथमिकता देते थे और हमेशा वामपंथी शक्तियों को एकजुट करने का प्रयास करते रहते थे । अरविंद विद्रोही ने भी उनकी प्रतिबद्धता को नमन करते हुए उन पर चर्चा की । डी. एन. एस. आनंद ने कहा कि जब वामधारा के सारे रचनाकार एकजुट होकर प्रतिक्रियावादी शक्तियों से लड़ेंगे तभी पांडेय जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जयनंदन ने कहा कि मैनेजर पाण्डेय ने जो भी लिखा बड़ी बेबाकी और अक्खड़ता से लिखा । उन्होंने जे. एन. यू. से बहुत ही ख्याति अर्जित की । वे बिहार के रत्न थे और रहेंगे ।
कार्यक्रम का संचालन वरुण प्रभात ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन तापस चट्टराज ने दिया । अंत में मैनेजर पांडेय के सम्मान में एक मिनट का मौन रखकर कार्यक्रम का समापन किया गया ।