बन्ना गुप्ता के खिलाफ वायरल एफआईआर की हो न्यायिक जांच- सरयू राय
जमशेदपुर । पूर्वी के विधायक सरयू ने कहा है कि राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के संबंध में एक एफआईआर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. जिसे वे फर्जी बता रहे हैं. इस मामले में रांची के पुलिस अधीक्षक (नगर) ने कहा है कि इसका स्रोत जानने के लिए जांच की जा रही है. दूसरी ओर बन्ना गुप्ता के एक प्यादे ने जमशेदपुर में तीन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है. प्राथमिकी दर्ज होते ही पुलिस सक्रिय हो गई है. जिन तीन लोगों पर जमशेदपुर के कदमा थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है स्वास्थ्य मंत्री जी उन्हें मेरा नजदीकी बता कर मुझे भी इसमें लपेटना चाह रहे हैं. मैं मांग करता हूं कि इस मामले में न्यायिक जांच कराई जाय. कारण कि इस मामले में पुलिस भी एक पक्षकार बन गई है.
इसके पहले अप्रैल 2023 में एक महिला के साथ अश्लील वार्ता करते हुए मंत्री बन्ना गुप्ता का वीडियो जारी हुआ था. इसपर उन्होंने खुद ही एफआईआर किया था. परंतु आज तक उसका कोई फलाफल नहीं निकला. इसी तरह यह एफआईआर फर्जी है या असली है. इसकी पुलिस जांच का भी कोई फलाफल नहीं निकलेगा और मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा. इसलिए इस मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए.
मंत्री बन्ना गुप्ता खुद को बैकवर्ड कहकर सहानुभूति हासिल करना चाहते है. गत एक माह में इन्होंने जमशेदपुर में क़रीब 100 गरीब फुटपाथ दुकानदारों का आशियाना तोडवाया है. इनमें से प्रायः सभी पिछड़ा वर्ग से हैं. इसी तरह उन्होंने कोविड महामारी के दौरान आदित्यपुर, जमशेदपुर के सेव-प्प्प् नामक एक अस्पताल को बन्द करा दिया. इसके मुख्य चिकित्सक डॉ. ओपी आनन्द को जेल में डाल दिया. मैंने डॉ. आनन्द के पक्ष में यह मामला उठाया था. डॉ. ओपी आनन्द भी बैकवर्ड हैं, यादव जाति से है. मामला हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट तक गया और फैसला डॉ. ओपी आनन्द के पक्ष में आया. सरकार की किरकरी हुई. क्या बन्ना गुप्ता पिछड़े वर्ग के चिकित्सक का अस्पताल जबरन बंद कराने से हुए नुकसान की भरपाई करेंगे ? उसी समय बन्ना गुप्ता ने जमशेदपुर के कांतिलाल मेडिका अस्पताल को बंद करा दिया. चिकित्सक सहित करीब 350 अस्पताल कर्मी इससे प्रभावित हुए. इसमें से अधिकांश कर्मी बैकवर्ड वर्ग के है. कोविड के समय इन्होंने जमशेदपुर में अंकुर पैथोलॉजी को बंद करा दिया और डॉ. राजेश मोहंती को जेल भिजवा दिया. इसी तरह से जमशेदपुर के मेडिट्रिना अस्पताल को 29 दिनों तक निलम्बित रखा. उमा अस्पताल, डिस्कवरी डॉयग्नोस्टिक सहित कई चिकित्सकीय संस्थानों पर दबाव डाला और उन्हें धमकाया.
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल का प्रबंधन अपनी मुट्ठी में कर रखा है और अपने एक नुमाइन्दे को अस्तपाल के अधीक्षक के कमरे के सामने ही एक बड़ा कमरा देकर उसे वहां बैठा दिया है. जब भी एमजीएम का कोई कुप्रबंधन सामने लाता है तो बन्ना गुप्ता को दर्द होने लगता है.
निविदा राशि से अधिक मूल्य पर दवाओं की खरीद, कोविड प्रोत्साहन राशि में घपला, 108-एंबुलेंस की खरीद में घोटाला, फार्मेंसी काउंसिल के रजिस्ट्रार की नियुक्ति में गड़बड़ी, चिकित्सकों के स्थानांतरण/पदस्थापन में घोर अनियमितता, आउटसोर्सिंग कर्मियों की नियुक्तियों में अनधिकृत और अनावश्यक दखलअंदाजी आदि के मामले में दोष सिद्ध होने पर भी इनके विरूद्ध कार्रवाई नहीं हो रही है.
बन्ना गुप्ता ने मुख्यमंत्री को झांसे में रखकर अपूर्ण एमजीएम कॉलेज अस्पताल, जमशेदपुर के नये भवन में ओपीडी का उद्घाटन करा दिया. जबकि इस नये भवन में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. इसके लिए प्रतिदिन तीन लाख लीटर पानी चाहिए. संवेदक, लार्सन एंड टर्बो ने अभीतक इस भवन का हैंडओवर नहीं दिया है. इस भवन को झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से कंसेट टू ऑपरेट (सीटीओ) नहीं मिला है. अस्पताल प्रबंधन ने इसका हैंडओवर भी नहीं लिया है. यह सब हुए बिना ओपीडी शुरू करा देना एक भद्दा मजाक है. एक दिन ओपीडी का उद्घाटन कार्यक्रम हुआ और दूसरे दिन से वहाँ गंदगी का अंबार लग गया है.
केवल जमशेदपुर ही नहीं बल्कि राज्य के सभी अस्पताल कुव्यवस्था के शिकार है. मरीजों को सही चिकित्सा नहीं मिल रही है. मेडिकल कॉलेजों में छात्रावासों की स्थिति दयनीय है. मगर स्वास्थ्य मंत्री है कि नीरो की तरह चैन की बंशी बजा रहे है.
श्री बन्ना गुप्ता ने मुझसे सवाल किया है कि विगत कई वर्षों से मैं स्वर्णरेखा नदी का पानी बोतल में भरकर जांच के लिए ले जाता हूं पर उसकी रिर्पोट क्या है यह पता नहीं चल पाता हॉ. इस तरह मैं उद्योगों को ब्लैकमेल करता हूं. बन्ना गुप्ता को पता होना चाहिए कि जमशेदपुर में स्वर्णरेखा नदी से संबंधित केवल एक ही उद्योग है और वह है जमशेदपुर का टाटा स्टील लिमिटेड. इस उद्योग समूह से कितनी बार ब्लैकमेलिंग मेरे द्वारा हुई है, इन्हें न याद हो तो टाटा स्टील के प्रबंधन से पूछकर बता दें.
इन्हें याद नहीं होगा कि मेरे सतत प्रयास से उद्योग एवं शहरी आबादी से निकलनेवाले गंदे नालों पर टाटा स्टील और जेएनएसी अलग-अलग स्थानों पर सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगा रहा है, ताकि नदी में गिरने से पहले नालों का पानी साफ हो जाय. बन्ना गुप्ता जैसे व्यक्ति सपने में भी नहीं सोच सकते हैं कि मेरे प्रयास से दामोदर नदी का पानी नहाने और पीने लायक साफ हो गया है. स्थानीय लोग इस जल को घर ले जाते हैं और उपयोग करते हैं.
रही बात रिपोर्ट की तो वर्ष 2022 में 22 मई से 09 जून तक के बीच मैंने दामोदर और स्वर्णरेखा प्रदूषण समीक्षा यात्रा का संक्षिप्त निष्कर्ष प्रतिवेदन जून, 2022 के अंतिम सप्ताह में राज्य के महामहिम राज्यपाल, माननीय मुख्यमंत्री और राज्य के मुख्य सचिव को भेजा है. बन्ना गुप्ता को अपनी सरकार से पूछना चाहिए कि मेरी रिपोर्ट क्या है और उस पर उनकी सरकार ने क्या कार्रवाई की ?
बन्ना गुप्ता जैसे व्यक्ति राजनीति को रोजगार समझते हैं और वैध-अवैध कमाई से जमशेदपुर के नजदीक और दूर के स्थानों पर अपने परिवार के लोगों के नाम से फॉर्म हाउस खड़ा कर लेते हैं. इनके जैसे लोगों को मेरे द्वारा किये गये कार्य न तो कभी पसन्द आएंगे और न ही समझ में आएंगे.