2040 तक बदल जायेगा बिजली का स्वरूप पूरी बिजली सोलर एनर्जी से आएगी; इस साल 41 लाख करोड़ रुपए का निवेश…
लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :- एटीएंडटी बैल लैब ने सूर्य की रोशनी से बिजली बनाने की नई टेक्नोलॉजी 70 साल पहले पेश की थी। फोन कंपनी को उम्मीद थी कि यह हर जगह उपकरण चलाने के लिए बैटरियों की जगह ले लेगी। उस समय टेक्नोलॉजी की घोषणा करने वाली प्रेस कांफ्रेंस में दिखाया गया कि किस तरह सूरज का प्रकाश टॉय फैस्सि व्हील को घुमा सकता है। आज सोलर पावर से बिजली के उत्पादन में तेजी आई है। इस साल सोलर पैनल दुनिया की 6% बिजली मुहैया कराएंगे। हर तीन साल में सोलर की स्थापित क्षमता दोगुनी और दस साल में दस गुना बढ़ रही है। दस साल पहले सोलर पावर मौजूदा क्षमता का दसवां हिस्सा थी
तब तक विशेषज्ञ उसे कम आंकते थे। धरती पर 2035 तक सोलर पैनल बिजली का
सबसे बड़ा स्रोत होंगे। 2040 तक वे न केवल बिजली बल्कि पूरी एनर्जी के सबसे बड़े स्रोत हो सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार इस साल सोलर पावर पर 41.77 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे। सोलर पैनलों से पैदा होने वाली
बिजली की लागत आज उपलब्ध सबसे सस्ती बिजली से आधी से भी कम होगी। इससे जलवायु परिवर्तन की गति धीमी पड़ेगी।
ऊर्जा के अन्य स्रोतों के मुकाबले सोलर बिजली सस्ती होती जाएगी। वैसे, अन्य मुश्किलें तो हैं। सोलर पावर को स्टार करना पड़ेगा। हैवी इंडस्ट्री, एविएशन और माल ढुलाई में दिक्कत आएगी। सौभाग्य से इन समस्याओं को बैटरियों और इलेक्ट्रोलिसिस से तैयार ईंधन से सुलझाया जा सकता है। एक अन्य चिंताजनक तथ्य है कि विश्व के ज्यादातर सोलर पैनल चीन में बनते हैं। उसकी सोलर इंडस्ट्री को सरकार से भारी मदद मिलती है। वह वर्तमान मांग से अधिक पैनल बना रहा है। चीन ने सोलर पावर की बहुत बड़ी क्षमता का निर्माण कर लिया है। उसकी कुछ कंपनियों के बंद होने और निवेश कम होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। फिर भी चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी सोलर पावर के मूल्यों को उस तरह प्रभावित नहीं कर सकेगी जैसे ओपेक देश तेल मूल्यों को करते हैं।
सस्ती ऊर्जा से दुनिया बदल जाएगी। इस सप्ताह दुनिया के उत्तरी गोलार्द्ध (नार्दर्न हेमिस्फीयर-एशिया, अफ्रीका, यूरोप, उत्तर अमेरिका के देश में ग्रीष्म संक्रांति (समर सोलास्टिस) है। इस वक्त सूर्य आकाश में अपने उच्चतम स्तर पर होगा। कुछ दशकों बाद वह पूरी दुनिया को रोशन करेगा जहां कोई भी बिजली के बिना नहीं रहेगा।
इस साल विश्व में 70 अरब सोलर पैनल बनेंगे
• इस साल विश्व में लगभग 70 अरब सोलर सेल्स (पैनल) बनेंगे। इनमें से अधिकतर का प्रोडक्शन चीन में होगा। 2023 में सोलर पैनलों से 1600 टेरावॉट बिजली पैदा हुई (एक टेरावॉट या एक खरब वॉट)।
• क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञ माइकेल लाईबीच बताते हैं, 2004 में दुनिया को एक गीगावॉट (एक गीगावॉट बराबर एक अरब वॉट या एक टेरावॉट का दसवां हिस्सा) सोलर पावर क्षमता बनाने में एक वर्ष, 2010 में एक माह, 2016 में एक सप्ताह लगता था। 2023 में एक दिन लगा।
• 2026 तक सोलर पावर से दुनिया के सभी परमाणु रिएक्टरों से ज्यादा बिजली बनने लगेगी। यह 2027 तक विंड टरबाईस, 2028 तक पनबिजली, 2030 तक गैस से चलने वाले प्लांट और 2032 तक कोयला प्लांटों से अधिक बिजली बनाने लगेगा।
सोलर पैनलों के 93% कच्चे माल का प्रोडक्शन चीन में
• 2023 में चीनी कंपनियों ने सोलर सेल्स (पैनलों) के लिए जरूरी दुनिया के
93% पॉलीसिलिकॉन का प्रोडक्शन किया था। पॉलीसिलिकॉन बनाने वाली चीन की दो सबसे बड़ी कंपनियों-जीसीएल पॉली और टोंगवेई की उत्पादन क्षमता तीन लाख 70 हजार टन थी।
• भारत सहित कई देश सोलर पॉवर का प्रोडक्शन बढ़ा रहे हैं। अडानी ग्रीन एनर्जी
गुजरात और राजस्थान में सोलर प्लांट लगा रही है। कंपनी पूरा सोलर किट चीन या पूर्व एशियाई कंपनियों से खरीदती है और लगभग 90% पैनल अमेरिका एक्सपोर्ट करती है।