खूंखार गैंगस्टार को पुलिस पर गोली चलाना पड़ा भारी।

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जमशेदपुर : गैंगस्टर अखिलेश सिंह और उसकी पत्नी को गुरुग्राम के सुशांत लोक स्थित एक फ्लैट से जमशेदपुर और गुरुग्राम पुलिस ने संयुक्त रूप से छापामारी कर 11 अक्टूबर 2017 को गिरफ्तार किया था।इस दौरान पुलिस पर अखिलेश सिंह ने फायरिंग की थी। जवाब में पुलिस ने भी गोलियां चलाई थी जो अखिलेश सिंह के दोनों घुटने में लगी थी।

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गुरुग्राम में अखिलेश के खिलाफ की गई थी प्राथमिकी दर्ज

पुलिस पर गोली चलाने के मामले में अखिलेश सिंह पर गुरुग्राम के सेक्टर 29 थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। 25 अगस्त को गुरुग्राम के सेशन अदालत में अखिलेश सिंह की जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई। अदालत ने जमानत अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी कि मामले में आरोप गठन के बाद आगामी तीन सितंबर को पुन: जमानत अर्जी पर सुनवाई की जाएगी। बचाव पक्ष की ओर से वरीय अधिवक्ता मो. नियाजी और प्रकाश झा ने पक्ष रखा था। यह जानकारी वरीय अधिवक्ता प्रकाश झा ने दी।

मुखबिरी का जाल बिछा पुलिस ने किया था गिरफ्तार

गौरतलब है कि जमशेदपुर के बार एसोसिएशन भवन में उपेंद्र सिंह की हत्या और सोनारी में अमित राय की हत्या में उसका नाम सामने आने पर जमशेदपुर पुलिस ने मुखबिरी का जाल फैलाकर अखिलेश सिंह को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस की गोली लगने के कारण गुरुग्राम के सिविल अस्पताल में वह दाखिल रहा था। स्वस्थ होने के बाद पुलिस उसे लेकर नवंबर 2017 में जमशेदपुर पहुुंची थी। कुछ दिन घाघीडीह सेंट्रल जेल में रखने के बाद उसे दुमका जेल स्थानांतरित कर दिया गया था। तब से वह दुमका जेल में ही है।

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जेलर हत्याकांड में भी सुप्रीम कोर्ट से हो चुका है जमानत याचिका खारिज

अखिलेश सिंह को इससे पहले भी करारा झटका लगा है। नौ अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने जेलर हत्याकांड मामले भी उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। गौरतलब है कि साकची जेल के जेलर उमाशंकर पांडेय को मार्च 2002 में गुर्गों के साथ मिलकर अखिलेश सिंह ने जेल परिसर आवास में घुसकर दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में उसका साथी संतोष पाठक भीड़ के हत्थे चढ़ गया था, जिसे लोगों ने पीट-पीटकर मार डाला था।

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