टाटा वर्कर्स यूनियन में इस्तीफे से हड़कंप: JDC चेयरमैन और कमेटी मेंबर ने छोड़ा पद, मानसिक दबाव बना कारण



जमशेदपुर :- टाटा स्टील की प्रतिष्ठित श्रमिक इकाई टाटा वर्कर्स यूनियन (TWU) में सोमवार को उस समय बड़ा झटका लगा जब यूनियन के एक वरिष्ठ कमेटी सदस्य और ज्वाइंट डिपार्टमेंटल काउंसिल (JDC) के चेयरमैन शाहनवाज खान ने अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। यह इस्तीफा न केवल यूनियन की आंतरिक स्थिरता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है, बल्कि यूनियन के भविष्य की दिशा को लेकर भी कई अटकलों को जन्म देता है।
सूत्रों का दावा: वादों को पूरा न कर पाने से था मानसिक दबाव
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, संबंधित पदाधिकारी अपने कार्यकाल के दौरान कर्मचारियों से किए गए वादों को समय पर पूरा नहीं कर पाने के कारण अत्यधिक मानसिक दबाव में थे। इसी दबाव और आत्ममंथन के चलते उन्होंने पद छोड़ने का निर्णय लिया। मिली जानकारी के मुताबिक जिस मुद्दे को लेकर विश्वास में लिया गया था वह संभव ही नहीं है।
इतिहास में पहली बार: TWU में किसी का इस्तीफा औपचारिक रूप से सामने आया
यह मामला इसलिए भी विशेष ध्यान आकर्षित कर रहा है क्योंकि टाटा वर्कर्स यूनियन के लंबे इतिहास में अब तक किसी भी पदाधिकारी का इस्तीफा औपचारिक रूप से न तो दिया गया था, और न ही स्वीकार किया गया था। इस लिहाज से यह घटनाक्रम यूनियन की पारंपरिक कार्यशैली और आंतरिक संस्कृति में बदलाव की आहट भी माना जा रहा है।
कई कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर चिंता जताई है कि जब यूनियन के वरिष्ठ पदाधिकारी ही दबाव में आकर इस्तीफा देने लगें, तो आम कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान कैसे संभव होगा। इससे यूनियन की भूमिका पर सवाल उठना लाजमी है।
यूनियन की चुप्पी बनी चिंता का विषय
खबर लिखे जाने तक यूनियन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। यह चुप्पी न केवल संशय को जन्म दे रही है, बल्कि नेतृत्व की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े कर रही है। क्या इस्तीफा स्वीकार किया जाएगा या नहीं, इस पर भी असमंजस बरकरार है।
जानकार बताते कि यह घटना यूनियन के लिए एक चेतावनी है। यदि संगठन ने आंतरिक संवाद को मज़बूत नहीं किया और नेतृत्व को जवाबदेह नहीं बनाया, तो इसका असर न केवल चुनावी समीकरणों पर पड़ेगा, बल्कि श्रमिकों के हित भी प्रभावित होंगे।


