नक्सल क्षेत्र में समय के साथ उलझता गया पुलिस का काम

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चाईबासा:  पश्चिमी सिंहभूम जिले में ही चाईबासा आता है. चाईबासा को भले ही शहर बना दिया गया है, लेकिन यहां के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस का काम समय के साथ सुलझने की बजाए उलझता ही जा रहा है. जी हां जब नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में किसी तरह की बड़ी वारदात को नक्सली अंजाम देते हैं तब पुलिस को पहुंचने में कई घंटे तक का समय लग जाता है. घटना के बाद तत्काल पुलिस नहीं पहुंच पाती है. यह पुलिस के लिए सबसे बड़ी परेशानी होती है.

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बल के अभाव में भी काम हुआ पेचिदा

पश्चिमी सिंहभूम जिले के थानों में जितनी संख्या में भी मैन पावर दे दिया जाए. वह ऊट के मुंह में जीरा के बराबर ही होगा. नक्सल क्षेत्र में पुलिस बल की एक नहीं चलती है. पुलिस चाहकर भी अपना काम आसानी से नहीं कर पाती है. नक्सलियों की ओर से खासकर टोंटों के तुंबाहाका और सरजमबुरू गाव में बारूदी सुरंग बिछाकर किसी घटना को अंजाम देना बेहद आसान हो गया है.

झारखंड का ये जिला है नक्सल प्रभावित

रांची, खूंटी, गिरिडीह, बोकारो, रामगढ़, चतरा, हजारीबाग, पलामू, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां का ईलाका भी प्रभावित है. यहां पर एमसीसी, पीएलएफआई, जेजेएमपी नक्सली संगठन अपनी पैठ जमाए हुए है. ऐसे में पुलिस को काम करने में भारी परेशानी होती है.

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