गम्हरिया में विरोध की राजनीति से विकास हुआ बाधित, टाटा स्टील ग्रीन फील्ड प्रोजेक्ट, इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बाद अब डिग्री कालेज को बना रहा निशाना…


गम्हरिया।टाटा स्टील की टेंटोपोशी प्रोजेक्ट, इंटरनेशनल एयरपोर्ट और फिर अब डिग्री कॉलेज का क्षेत्र में विरोध से गम्हरिया का विकास कार्य बाधित हो गया है। देश की आजादी के बाद से लेकर झारखंड के निर्माण के इन 24 वर्षों में आदित्यपुर-गम्हरिया का क्षेत्र उच्च शिक्षा के शैक्षणिक संस्थानों के लिए तरसता रहा। ग्रामीण एवं मजदूर तबके के बच्चे मैट्रिक के बाद आगे की पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं। इस क्षेत्र के विधायक चंपाई सोरेन के मुख्यमंत्री बनते ही लोगों की आस जगी और ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल समाजसेवी छाया कांत गोराई के नेतृत्व में उन्हें ज्ञापन सौंपकर डिग्री कॉलेज खोलने की ओर ध्यान आकृष्ट कराया। इस मामले की गंभीरता को समझते हुए मुख्यमंत्री सोरेन ने चुनाव आचार संहिता के हटते ही पहली कैबिनेट की बैठक में करीब 40 करोड़ की लागत से कालेज खोलने की स्वीकृति प्रदान कर दी। मुख्यमंत्री के इस निर्णय की आदित्यपुर एवं गम्हरिया के लोगों ने जमकर सराहना की। छात्र छात्राओं में खुशी छा गई। इधर, बुरुडीह में कालेज स्थापना की खबर से ही विवाद और विरोध शुरू हो गया है। रविवार को आयोजित ग्राम सभा में दो गुटों में तनातनी हो गई। बुरूडीह के ग्राम प्रधान रघुनाथ मंडल ने ग्राम सभा के माध्यम से जहां इस ऐतिहासिक उपलब्धि का समर्थन किया और ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कराया। वही दूसरे गुट के देवीलाल टुडू समेत उनके समर्थकों ने प्रस्तावित स्थल पर कालेज निर्माण का जमकर विरोध करते हुए ग्राम सभा को फर्जी करार दिया। इधर कतिपय ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए इस बड़ी शैक्षणिक परियोजना पर भी संकट से लोग सशंकित हो गए है। लोगों ने बताया कि विरोध के कारण अगर कालेज का निर्माण नहीं हुआ तो एकबार फिर यह क्षेत्र डिग्री कालेज से वंचित हो जायेगा। फिर कालेज बन की उम्मीद क्षीण हो जायेगी। इस संदर्भ में सीओ कमल किशोर ने बताया कि जिस स्थल पर कालेज का निर्माण होगा, वह पूर्णतः झारखंड सरकार की जमीन है। उसमें कोई विवाद नहीं होना चाहिए। इधर, इस मुद्दे पर 20 सूत्री अध्यक्ष छाया कांत गोराई ने ग्रामीणों से विरोध नहीं करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लिए यह सबसे बड़ी सौगात है, जो मुख्यमंत्री ने क्षेत्र के लोगों को दी है। कालेज की स्थापना में सभी का सहयोग जरूरी है। कहा कि विरोध से विकास कार्य बाधित होता है।


टाटा स्टील ग्रीन फील्ड प्रोजेक्ट
टाटा स्टील के विस्तारीकरण की प्रक्रिया में वर्ष 2006 में गम्हरिया के टेंटोपोशी में 12 मिलियन टन ग्रीन फील्ड प्रोजेक्ट लगाने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए करीब 23 गांवों को चिन्हित कर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई थी। किंतु, इसमें शामिल चार पंचायतों में टेंटोपोशी, रांगा माटिया, बांधडीह और नेंगटासाई के ग्रामीणों के समक्ष विस्थापन की समस्या से टेंटोपोशी प्रोजेक्ट का जमकर विरोध हुआ। भूमि रक्षा ग्रामीण एकता मंच ने इस प्रोजेक्ट का जमकर विरोध किया था। ग्रामीणों के भारी विरोध को देखते हुए टाटा स्टील ने इस प्रोजेक्ट को रोक दिया। यह प्रोजेक्ट कालांतर में गम्हरिया के बजाय यह ओडिसा शिफ्ट हो गया। बताया गया कि इस प्रोजेक्ट के आने से सरायकेला-खरसावां जिले की तस्वीर बदल जाती। यहां के लोगों का जीवन स्तर में जहां बदलाव आता वही, नियोजन के द्वार खुल जाते।
गम्हरिया इंटरनेशनल एयरपोर्ट
गम्हरिया प्रखंड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के बुरुडीह पंचायत में वर्ष 2012 में इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए स्थल चयनित किया गया था। टाटा स्टील के प्रयास से यहां भूमि अधिग्रहण का कार्य भी शुरू कर दिया गया था। टाटा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा परियोजना को फरवरी 2012 में भारत सरकार के नागरिक उड्डयन महानिदेशालय से पहले ही मंजूरी मिल चुकी थी। किंतु, स्थानीय ग्रामीणों के एक वर्ग की बाधा के कारण परियोजना आगे नहीं बढ़ पाई। भूमि रक्षा संघर्ष समिति (बीआरएसएस) के बैनर तले प्रदर्शनकारी हवाईअड्डा परियोजना के लिए इस क्षेत्र में जमीन नहीं देने पर अड़ गए। बताया गया कि हवाई अड्डे के लिए 528 एकड़ भूमि की आवश्यकता थी। जिसमें 90 प्रतिशत वनभूमि थी। इस क्षेत्र में एयरपोर्ट के निर्माण के लिए लगातार प्रयास करते हुए कई गांवों में ग्रामसभा की गई। ग्रामीणों को समझाया गया कि एयरपोर्ट के निर्माण से क्षेत्र की तस्वीर बदलेगी। किंतु कुछ नेताओं के विरोध के कारण एक बड़ी परियोजना इस क्षेत्र से निकलकर धालभुमगढ़ चली गई।
