मेघा रे मेघा रे,,,,,,,,,,,,,रूठे इंद्र ,सूखी नदियां व ताल तलैया, प्यासी धरती, कौन बुझाएगा धरती का प्यास,खिसक रहा चम्पाकल का जलस्तर,दम तोड़ रहा हरे वृक्ष,बेहाल हो रहे पशु पंक्षी व खतरे में पड़ा ननिहलो की जिंदगी

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सासाराम/ रोहतास ( दुर्गेश किशोर तिवारी):-कहा जाता है कि जल ही जीवन है जल के बगैर कोई नही रह सकता।लेकिन इन दिनों नीले आसमान से नित दिन टपक रहे आग के गोला और बह रहे पछुआ लू के थपेड़ो से जहां लोगो को चढ़ते दिन दस बजे के बाद घरों में दुबकने को विवश हो जाना पड़ रहा है ,वही भगवान भास्कर का रौंद रूप के आगे भगवान इंद्र ने भी भयभीत होकर अपना मौन धारण कर लिया है।जिससे मैदानी इलाकों से लेकर रोहतास की वादियों तक का विभीन्न नदिया,नहर,तालाब,जलाशय तथा पइन आदि पड़ते तपिस के कारण पूरी तरह सूख गई है।वैसे तो सूर्य की किरणें निकलते ही धूप लोगो को तीखा लगने लगता है और लोग जल्दी जल्दी अपना दैनिक कार्य निपटा कर छाव खोजने लगते है।लेकिन  बढ़ते तपिस और लू के थपेड़ो के चलते नदियां आदि के सुख जाने से धरती भी प्यास गई है।लेकिन प्यासे धरती की प्यास बुझायेगा कौन यह धरती पर विचरण करने वाले हर प्राणी के लिए यक्ष प्रश्न बना हुआ है। विगत एक सप्ताह के भीतर पृथ्वी पर निवास करने वाले मानव सहित अन्य पशु पंक्षी आदि के लिए कही भी बूंदा बूंदी या तेज बारिश नही हो पाया है। जिससे प्यास बुझाने एवं मौसम में गिरावट आकर लोगो सहित धरती की प्यास बुझ सके।बढ़ते तपिस के कारण इलाके की नहर,नदी तालाब,आहार पाइन आदि के सुख जाने से जहां चापाकल के जलस्तर भी खिसकने लगा है।वही पशु पंक्षी और जानवरों के समक्ष पीने की पानी को लेकर गभीर संकट उतपन्न होते जा रहा है।जबकि इन जलाशयों के किनारे लगाए गये हरे भरे वृक्ष भी पानी के अभाव में अपना दम तोड़ते नजर आ रहा है।इन जलाशयों को तेजी से सूखने के कारण यह माना जा रहा है कि ग्रामीण इलाके में मछुआरे मछली मारने के फिराक में नदी,नहर आहार आदि शेष बचे जलो को इधर से उधर उड़ाही किया जाना जल्दी सूखने का कारण है।उल्लेखनीय है कि इन दिनों भगवान भास्कर नित दिन धरती पर नीले आसमान से जहां आग का गोला बरसा रहे है वही पवन देव गर्म हवाओं के बहने से लोगो की दिनचर्या को गड़बड़ा दिए है।लोग इन तेज धूप और बह रहे लू के थपेड़ो के बीच झुलसते शरीर को बचाने के लिए सुबह दस  बजे के बाद अपने अपने घरों में दुबकने को विवश हो जा रहे है।जबकि नीले आसमान में कभी कभार देर रात या दिन में उमड़ते घुमड़ते बदलो की आवाजाही से लोगो की उम्मीद पल पल जागृत हो रही है कि अब मेघा धरती पर टपक कर लोगो को उमस भरी भीषण गर्मी व गर्म हवाओं से राहत एवं ठंडक पहुचाने का कार्य करेगा।वही प्यासी धरती की प्यास बुझाएंगे। मगर न तो भगवान भास्कर अपने तेज में कोई फिलहाल इजाफा करते दिखलाई पड़ रहे है और न ही इंद्र देव धरती पर टपकने का नाम ले रहे है।जबकि पड़ रहे उमस भरी भीषण गर्मी एवं सूर्य देव के तेज प्रकोप के वावजूद भी कोरोनाकाल में बंद रखने के निर्देश के बाद भी जिले के अंदर चल रहे कई गैर सरकारी कोचिंग संस्थान चुपकेचोरी खुले नजर आ रहे है।।ऐसा लग रहा है कि इनके लिए पैसा कमाना ही सबकुछ है, बच्चों की जिंदगी से कोई लेना देना नही है।जबकि भीषण धूप और लू को देखते हुए भी जिला प्रशासन पूरी तरह खामोस है।बताया जाता है कि पिछले मई माह में कोरोना की बढ़ते भयवाहता के मद्देनजर सरकार ने लॉकडाउन लगाकर गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों को बंद रखने का आदेश जारी किया था।जिस पर जिला प्रशासन ने भी सख्ती दिखाया था। लेकिन कुछ कोचिंग सेंटर बंद होने के उपरांत भी खुले नजर आ रहे है।

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