केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से मिले कुणाल षाड़ंगी, राज्य के प्राईवेट अस्पतालों में आयुष्मान योजना से ईलाज बंद होने व एमजीएम की बदहाली पर की बात

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■ मंत्री ने बताया केंद्र से राज्य को भेजी जा चुकी है पूरी राशि।
■ राज्य सरकार की उदासीनता के कारण गरीब हो रहे हैं परेशान – कुणाल षाड़ंगी
■ एमजीएम अस्पताल में घाटशिला के शिक्षक की इलाज ना होने से हुई मौत पर कराया ध्यान आकृष्ट।

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जमशेदपुर (संवाददाता ):-झारखंड प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता एवं पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख माँडविया से मुलाक़ात कर झारखंड राज्य में आयुष्मान योजना की दयनीय स्थिति, एमजीएम अस्पताल की बदहाली और स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी पर विशेष संज्ञान लेने का आग्रह किया। कुणाल षाड़ंगी ने मनसुख मांडविया से आग्रह किया केंद्र की महत्वकांक्षी आयुष्मान योजना के क्रियान्वयन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। पूरे राज्य में बड़ी संख्या में प्राईवेट अस्पतालों ने आयुष्मान योजना के अंतर्गत छोड़-बड़े सभी रोगों का ईलाज करने से मना कर दिया है। जिससे गरीब मरीज़ों की स्थिति बेहद ख़राब हो चुकी है। अस्पतालों का कहना है कि सरकार उनकी बकाया राशि का भुगतान नहीं कर रही है। कुणाल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से पूछा कि क्या केंद्र सरकार के स्तर पर यह राशि लंबित है?

इसपर स्वास्थ्य मंत्री ने अपने सचिव से वास्तविक स्थिति की जानकारी ली। सचिव ने सूचना दी कि केंद्र सरकार की तरफ़ से पूरी राशि राज्य में कार्यरत बीमा कंपनी को प्रीमियम के साथ भुगतान कर दी गई है। अस्पतालों को राशि का भुगतान राज्य स्तर से होना है। आयुष्मान भारत डिजीटल मिशन के माध्यम से हम लगातार इस योजना और इसके राज्य स्तर पर क्रियान्वयन की समीक्षा करते हैं।

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स्वास्थ्य मंत्री ने कुणाल से कहा कि अगर सभी प्राईवेट अस्पताल जिनकी राशि बकाया है अथवा राज्य की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन शाखा भी पूरे ब्योरे के साथ इसकी लिखित सूचना केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को दें तो निश्चित रूप से जाँच करके राज्य सरकार को उनका भुगतान सुनिश्चित करने हेतु अग्रतर कार्यवाही की जाएगी।उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक आयुष्मान योजना को धरातल पर उतारने के लिए कटिबद्ध है ताकि योग्य लाभुकों को प्राथमिकता के आधार पर योजना का लाभ मिल सके।

कुणाल ने राज्य में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी की ओर मंत्री का ध्यान आकर्षित करवाया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने शिक्षक दिवस के दिन घाटशिला निवासी गणित शिक्षक उज्जवल गुइन का कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में विभागीय उदासीनता के कारण इलाज ना होने से हुई मौत की ओर ध्यान आकृष्ट कराया। उन्होंने बताया कि गंभीर हालत में अस्पताल लाने पर उन्हें जमीन पर ही तड़पने के लिए छोड़ दिया गया और उनका इलाज भी नही किया गया। कुणाल ने कहा कि एमजीएम अस्पताल की बढ़ती बदहाली से यह झारखंड के माथे के कलंक के रूप में स्थापित हो चुका है। उन्होंने एमजीएम अस्पताल में लगातार हो रही ऐसी घटना पर केंद्र सरकार की सीधी पहल की मांग की है।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वे जल्द ही राज्य के विभागीय पदाधिकारियों के साथ इन सभी विषयों पर समीक्षा करेंगे।

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