कोल्हान विश्वविद्यालय अपनी 15वें वर्ष में बदहाली पर बहा रहा आंसू, विश्वविद्यालय में वीसी, प्रोवीसी, रजिस्ट्रार समेत कई अहम पद खाली…
जमशेदपुर :- अगस्त 2009 में स्थापित कोल्हान विश्वविद्यालय अपने 15वें वर्ष में अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय में मई 2003 से ही कुलपति का पद खाली है। पूर्व कुलपति डॉ गंगाधर पांडा के रिटायर होने के बाद अब तक किसी की नियुक्ति नहीं हो सकी है। राजभवन की ओर से कुलपति का प्रभार कोल्हान आयुक्त को सौंपा गया है। एक साल से आयुक्त प्रभार में हैं। उन्हें सिर्फ वेतन, पेंशन व अन्य रुटीन कार्य की जिम्मेदारी दी गयी है। नीतिगत फैसले लेने का अधिकार उन्हें नहीं है। नतीजा यह है कि विश्वविद्यालय में कई महत्वपूर्ण कार्य ठप हो गये हैं। विश्वविद्यालय का समग्र विकास नहीं हो रहा है। इतना ही नहीं विश्वविद्यालय में प्रोवीसी, रजिस्ट्रार, फाइनांस ऑफिसर के साथ-साथ सीसीडीसी के पद भी खाली हैं। सभी पद प्रभारी के भरोसे चल रहे हैं। इसका खामियाजा झारखंड के छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है। ना तो समय पर डिग्री सर्टिफिकेट मिल रहा है और ना ही किसी तरह का प्रमाण पत्र। इसके साथ ही प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी कई काम प्रभावित हो रहे हैं।
गौरतलब है कि 13 अगस्त 2009 से पूर्व सरायकेला-खरसांवा, पूर्वी सिंहभूम व पश्चिमी सिंहभूम जिले के कॉलेजों का संचालन रांची विवि के अधीन होता था। कोल्हान विवि के गठन को लेकर दलील दी गयी थी कि इसकी स्थापना होने से प्रमंडल के गरीब और आदिवासी छात्र-छात्राओं को कोल्हान में ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी। लेकिन, जिस प्रकार से पिछले एक साल से स्थिति उत्पन्न हुई है, इसका सीधा असर करीब 80 हजार छात्र-छात्राओं पर पड़ रहा है। जनप्रतिनिधि से लेकर छात्र-छात्राएं राजभवन की ओर टकटकी लगाए हुए है कि न जाने कब स्थायी कुलपति समेत अन्य पदों पर नियुक्ति होगी।
विश्वविद्यालय में वीसी और प्रोवीसी के पद रिक्त होने के कारण सिंडिकेट, फाइनेंस कमेटी, एकेडमिक काउंसिल, एग्जामिनेशन बोर्ड, बिल्डिंग कमेटी की बैठक नहीं हो पा रही है। विद्यार्थियों का दीक्षांत समारोह तक लटका हुआ है, छात्र संघ का चुनाव नहीं हो पा रहा है। यही कारण है कि सिंडिकेट की बैठक में विश्वविद्यालय से संबंधित विभिन्न एजेंडों को प्रस्तुत किया जाता है, जिस पर विचार-विमर्श के बाद आवश्यक निर्णय लिया जाता है। साथ ही, विभिन्न प्रस्तावों को पारित कर अनुमति के लिए सरकार के पास भेजा जाता है। इसी तरह, फाइनेंस कमेटी की बैठक में विश्वविद्यालय के वित्तीय, एकेडमिक काउंसिल की बैठक में सिलेबस आदि से संबंधित निर्णय लिये जाते हैं. वीसी समेत अन्य महत्वपूर्ण पद खाली रहने की वजह से इससे संबंधित कोई काम नहीं हो पा रहा है। हालत यह है कि विवि के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में आउटसोर्स पर जितने साफ-सफाई कर्मी या सुरक्षाकर्मी बहाल हैं, उनका कार्य रिन्युअल भी नहीं हो रहा है, जिससे कॉलेजों में साफ-सफाई भगवान भरोसे है।