जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में ‘हाऊ टू पब्लिश इन रेपुटेड जर्नल्स’ पर ज्ञानवर्द्धक कार्यशाला सम्पन्न

0
Advertisements
Advertisements

जमशेदपुर: जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में लगातार दूसरे दिन आईक्यूएसी ने अनुसंधान पर आधारित एक कार्यक्रम का आयोजन किया। ‘हाऊ टू पब्लिश इन रेपुटेड जर्नल्स’ टॉपिक पर कार्यशाला की शुरुआत कुलपति प्रो.(डॉ.) अंजिला गुप्ता कार्यशाला की अध्यक्षता में अतिथिवक्ता गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के पूर्व कुलसचिव, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष रहे बायोटेक्नोलॉजी के प्रो. बीएन तिवारी, प्रॉक्टर डॉ. सुधीर कुमार साहू एवं आईक्यूएसी डायरेक्टर डॉ. रत्ना मित्रा द्वारा दीप प्रज्वलन तथा संगीत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सनातन दीप एवं छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना के साथ हुआ। अतिथिवक्ता एवं गणमान्य विभूतियों का औपचारिक स्वागत स्मारिका एवं पौधे के द्वारा किया गया।

Advertisements

कार्यशाला की अध्यक्षता कर रही कुलपति प्रो.(डॉ.) अंजिला गुप्ता ने अपने संबोधन में यूनिवर्सिटी को उत्कृष्ट अनुसंधान केंद्र में बदलने के संकल्प को दोहराया। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए शोध और गुणवतापूर्ण प्रकाशन के लिए यूनिवर्सिटी के सभी प्राध्यापकों और प्राध्यापिकाओं को इसके लिए निरंतर प्रयासरत रहने को कहा।

प्लेगिएरिज्म या साहित्य चोरी मूल विचारों वाले शोधार्थियों के लिए एक बड़ा खतरा – प्रो. बीएन तिवारी

प्रो. बीएन तिवारी ने ‘हाऊ टू पब्लिश इन रेपुटेड जर्नल्स’ टॉपिक पर पूर्ण जानकारी साझा करते हुए एक विस्तृत प्रस्तुति दी। अनुसंधान क्या है और क्यों आवश्यक है, इससे शुरुआत करते हुए उन्होंने रेपुटेड जर्नल्स और उसमें प्रकाशन के लिए प्रचलित मानकों और आवश्यकताओं को बारीकी से समझाया। जर्नल में प्रकाशन के लिए अब्स्ट्रैक, प्रस्तावना, शोध विधि आदि के साथ मुख्य भाग और निष्कर्ष के विभिन्न चरणों के उद्देश्यों को समझते हुए विभिन्न प्रकार के आर्टिकल्स की भी जानकारी दी। आज के संदर्भ में उन्होंने प्लेगिएरिज्म या साहित्य चोरी को मूल विचारों वाले शोधार्थियों के लिए एक बड़ा खतरा बताते हुए इससे पूरी तरह बचने की सलाह दी। उन्होंने आगाह किया कि नॉन रेपुटेड जर्नल्स में अच्छे आर्टिकल्स भेजना घटक हो सकता है, क्योंकि कई बार प्रकाशन में देर करते हुए उन आर्टिकल्स को कही और किसी और नाम से प्रकाशित कर दिया जाता है। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न जर्नल्स के अपने अपने सबमिशन फॉर्मेट पर भी बात की।

See also  गृह प्रवेश के रंग मे पड़ा भंग, नए गैस सिलेंडर व चूल्हे से लगी भीषण आग

उनके विद्वतापूर्ण उद्बोधन को सुनने के लिए यूनिवर्सिटी के पदाधिकारी डीएसडबल्यू डॉ. किश्वर आरा, परीक्षा नियंत्रक डॉ. रमा सुब्रमणियन, सीवीसी डॉ. अन्नपूर्णा झा, डीओ डॉ. सालोमी कुजूर आदि तथा सभी विभागों के प्राध्यापक एवं प्राध्यापिकाओं ने कार्यशाला में भाग लिया। मंच संचालन एमबीए की प्राध्यापिका डॉ. केया बैनर्जी एवं धन्यवाद ज्ञापन दर्शन विभाग की प्राध्यापिका डॉ. अमृता कुमारी ने किया।

Thanks for your Feedback!