जानें हाथरस में हुए पूरी घटना की कहानी..क्या कहा बोले बाबा ने इस घटना के बाद…

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :- हाथरस में मंगलवार को हुई दर्दनाक दुर्घटना में अबतक 122 लोगों की मौत की बात सामने आई है, जबकि कई लोग घायल हैं जिसमें से कुछ लोगों की स्थिति गंभीर बनी हुई है। इस घटना में एक ये भी एंगल निकल कर आया है कि ये घटना जान बूझकर रची गई साजिश तो नहीं थी। अब तक की जांच में जो बातें सामने आई है उसके मुताबिक, सत्संग स्थल पर ‘रंगोली’ बनाई गई थी, जिस पर चलकर बाबा को निकलना था। दरअसल, पंडाल से निकलने के बाद बाबा के भक्तों का हुजूम उनके चरण रज लेने के लिए उमड़ पड़ा था। उस रंगोली को बाबा का आशीर्वाद मानकर लोग दंडवत प्रणाम कर रहे थे। लोग उस रंगोली के बुरादे को अपने साथ ले जाना चाहते थे।

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बाबा की चरणों की धूल लेने को उमड़ी थी भीड़

रंगोली के बुरादे को लेने के लिए एक साथ हजारों की भीड़ बाबा के चरणरज उस रंगोली को लेने के लिए दंडवत हुए और भगदड़ मच गई, फिर किसी को संभलने का मौका नहीं मिला और लोग एक के ऊपर एक गिरते चले गए और दुर्घटना हो गई। हाथरस में कल भयंकर लापरहवाही हुई और उसकी कीमत 121 लोगों को अपनी जान देककर गंवानी पड़ी। जिस वक़्त भगदड़ मची उस वक्त लोगों की चप्पलें, जूते. बिखरे हुए सामान इस बात की गवाही दे रहे हैं कि हादसा कितना दर्दनाक था। हर तरफ चीख पुकार मची थी,जगह जगह शव पड़े थे।

बरती गई थी बड़ी लापरवाही

एफआईआर के मुताबिक, मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर ने प्रशासन से सत्संग के आयोजन की परमिशन मांगी थी, जिसमें 80 हजार श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद जताई गई थी।हालांकि बताया ये जा रहा है कि ढ़ाई लाख से ज्यादा श्रद्धालु वहां पहुंच गए। मंगलवार को दोपहर 2 बजे प्रवचन खत्म होने के बाद सूरजपाल उर्फ भोले बाबा अपनी गाड़ी में बैठकर आयोजन स्थल से बाहर निकल रहे थे, तभी उनकी एक झलक पाने के लिए हजारों श्रद्धालु दौड़ पड़े।

बाबा की गाड़ी से जो धूल उड़ी, लोग उसे समेटना शुरू कर दिए। धूल उठाने के लिए जो श्रद्धालु झुके थे, उसपर पीछे से आ रही भीड़ चढ़ गई। इसके बाद चीख पुकार मच गई। सड़क के पास करीब 3 फीट गहरा खेत है, जिसमें कीचड़ और पानी भरा था। भीड़ उधर भागी लेकिन, कीचड़ की वजह से फिसलन थी और लोग एक दूसरे पर गिरने लगे। एक दूसरे को कुचलते रहे। इस दौरान आयोजनकर्ताओं और सेवादारों ने डंडे से भीड़ को रोकने की कोशिश की, जिसकी वजह से भगदड़ मच गई। प्रशासन ने घायलों को अस्पताल पहुंचाया। लेकिन आयोजनकर्ताओं और सेवादारों ने सहयोग नहीं किया बल्कि वो सबूत मिटाने की कोशिश करते रहे।

नारायण साकार हरि कौन है, लोग क्यों उसके पीछे दीवाने हैं

नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल सिंह है। बाबा कभी पुलिस विभाग में कांस्टेबल था। लेकिन साल 1990 के आसपास नौकरी छोड़कर प्रवचन देना शुरू कर दिया। हालांकि बाबा अपने प्रवचनों में दावा करता है कि वो खुफिया विभाग में नौकरी करता था। सूरजपाल उर्फ भोले बाबा एटा के गांव बहादुर का रहने वाला है और उसके अनुयायी पश्चिमी यूपी से लेकर हरियाणा दिल्ली और राजस्थान में भी हैं। बाबा के तीन ठिकाने हैं-आगरा अलीगढ़ और राजस्थान।

राजस्थान में बाबा का काफी प्रभाव है। वहां उसका बड़ा सा आश्रम भी है। बाबा अपने गांव एटा करीब डेढ़ साल पहले आया और गांव की ही ज़मीन पर ट्रस्ट बनाया। बाबा और उसकी पत्नी एक साथ प्रवचन देते हैं। भक्त बाबा को परमात्मा कहते हैं जबकि पत्नी को मां जी बुलाते हैं। घटन के बाद बाबा फरार है, वह कहां है उसका कोई पता ठिकाना नहीं मिल पा रहा है। उसका आश्रम 30 एकड़ में फैला है। वह भक्तों से चढ़ावा नहीं लेता हर महीन के पहले मंगलवार को प्रवचन देता है। बाबा भोले हरि पर यौन शोषण का भी आरोप लगा है।

बाबा ने बना रखी है खुद की आर्मी

भोले बाबा का आश्रम 30 एकड़ में है। उसने खुद की आर्मी बना रखी है। यौन शोषण समेत 5 मुकदमे दर्ज हैं। UP पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल रहते हुए यौन शोषण का आरोप लगा तो उसे बर्खास्त कर दिया गया था। जेल भी गया। बाहर आया तो नाम और पहचान बदल ली। अनुयायी भोले बाबा उर्फ साकार विश्व हरि को परमात्मा कहते हैं, जबकि उसकी पत्नी को मां जी। हर समागम कार्यक्रम में बाबा और उसकी पत्नी शामिल होते हैं, जब बाबा नहीं होते तो पत्नी प्रवचन देती। तीन महीने से पत्नी का स्वास्थ्य खराब है, इसलिए बाबा अकेले ही प्रवचन देने जाते थे।

अंडरग्राउंड है बाबा साकार हरि

हादसे के बाद से बाबा नारायण साकार हरि अंडरग्राउंड है। पुलिस उसकी तलाश में लगातार दबिश डाल रही है। इस बीच बाबा को लेकर नया खुलासा हुआ है। बाबा ने अपनी सुरक्षा के लिए पर्सनल सेना बनाई थी, जिसमें उसके सेवादार शामिल थे। बाबा ने अपनी सुरक्षा के लिए महिला और पुरुष गार्ड रखे थे। बाबा ने अपनी इस पर्सनल आर्मी को नारायणी सेना नाम दिया था। बाबा की ये पर्सनल फौज आश्रम से लेकर प्रवचन स्थल तक उसकी सुरक्षा में साथ साथ चलती थी।

फरार नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा ने पहला बयान जारी किया और बताया कि मैं तो सत्संग के बाद वहां से निकल गया था। मृतकों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।

साजिश का हुआ खुलासा

SDM की रिपोर्ट में पूरी घटना के बारे में लिखा हुआ है, जिसमें एक और साजिश का खुलासा हुआ है। हादसे की एफआईआर में भी लापरवाही की बात सामने आई है। आयोजकों ने प्रशासन के नियमों का पालन नहीं किया। भीड़ को कंट्रोल करने का कोई प्लान, कोई इंतज़ाम नहीं था। एफआईआर में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि हादसे के बाद आयोजकों ने सबूत मिटाने की कोशिश की। पास के खेतों में लोगों के छूटे जूते चप्पल फेंककर सबूत मिटाए गए। सत्संग में अनुमति से ज्यादा भीड़ जुटाई गई भारत में बाबाओं की स्ट्रांग क्रिमिनल हिस्ट्री है।

 

 

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