जमशेदपुर के वरिष्ठ साहित्यकार श्यामल सुमन ने जनवादी लेखक संघ के सचिव पद से दिया इस्तीफा।


जमशेदपुर :- जमशेदपुर के वरिष्ठ साहित्यकार श्यामल सुमन ने जनवादी लेखक संघ के सचिव पद से इस्तीफा दे दिया । उन्होने इस्तीफ़े मे लिखा कि


अध्यक्ष महोदय – लेखक संघ सिंहभूम, जमशेदपुर / अध्यक्ष महोदय – झारखण्ड प्रदेश जनवादी लेखक संघ / अध्यक्ष महोदय – केन्द्रीय जनवादी लेखक संघ सहित सभी सम्मानित पदाधिकारी और सदस्यगण –
जमशेदपुर में आयोजित जनवादी लेखक संघ के स्थापना दिवस का एक साक्षी रहते हुए बाद के दिनों में मैंने करीब तीन दशकों तक जनवादी लेखक संघ का अभिन्न अंग बनकर और आप सबके सान्निध्य में रहकर बहुत कुछ सीखा और यथायोग्य सांगठनिक कार्यो के माध्यम से संगठन की सेवा भी की। जो कुछ जनवादी चेतना मुझमें विकसित हुई उसके लिए मैं जनवादी लेखक संघ के तमाम पूर्व और वर्तमान साथियों के प्रति कृतज्ञता जाहिर करता हूं।
नितान्त वैयक्तिक कारणों से मुझे एक कठोर निर्णय लेना पड़ रहा है। हलांकि यह निर्णय लेना बहुत आसान नहीं है मेरे लिए क्योंकि इससे मेरी वर्षों की साधना, संघर्ष, अपनापन और मेरे वैयक्तिक आंसू जुड़े हुए हैं।
मैं श्यामल सुमन पूरे होश में बिना किसी बाहरी दबाव या लालच के यह घोषित करता हूं कि मैं जनवादी लेखक संघ सिंहभूम जमशेदपुर के सचिव पद, झारखण्ड प्रदेश जनवादी लेखक संघ के संयुक्त सचिव पद, राष्ट्रीय परिषद के कार्यकारिणी सदस्य के पद सहित जनवादी लेखक संघ की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे रहा हूं।
मेरी तरफ से जलेस परिवार के सभी साथियों से मेरे वैयक्तिक संबंध पूर्ववत बने रहेंगे। बस मैं सांगठनिक रूप से खुद को अलग कर रहा हूं। संगठन से जुड़े सभी कागजात मेरे पास सुरक्षित हैं जिसे मेरे निवास से आप कभी भी ले सकते हैं।
आप सभी संबंधित सदस्यों से आग्रह है कि मेरे इस इस्तीफे को सक्षम पदाधिकारियों तक अग्रेषित कर मुझे हर प्रकार के सांगठनिक दायित्व से आज से मुक्त करें। जो भी प्रगतिशीलता अर्जित किया हूं अबतक उसी के साथ आजीवन साहित्य सेवी के रूप में जितना बन पड़ेगा, काम करता रहूंगा। इतने सालों में यदि मुझसे कोई त्रुटि हुई है तो उसके लिए क्षमा याचना। बस चलते चलते यही कहना चाहता हूं कि –
कैसे कह दूं प्यार नहीं है?
बन्धन भी स्वीकार नहीं है
सादर
श्यामल सुमन
