झारखंड में सर्पदंश के बढ़ते मामले: रिम्स और सदर अस्पताल में हर दिन 10 से अधिक केस, झाड़-फूंक कराने वाले मरीजों की मौत…

0
Advertisements
Advertisements

झारखंड/रांची: झारखंड के रिम्स और सदर अस्पतालों में बारिश के मौसम के दौरान सर्पदंश के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। रिम्स में हर दिन आठ से दस मरीज सांप के काटने के बाद इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, जबकि सदर अस्पताल में तीन से पांच मामले दर्ज हो रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार, समय पर उपचार मिलने वाले मरीज तो बचाए जा रहे हैं, लेकिन झाड़-फूंक का सहारा लेने वाले लोग अपनी जान गंवा रहे हैं।

Advertisements
Advertisements

रिम्स के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. संजय सिंह ने जानकारी दी कि फिलहाल तीन मरीज गंभीर हालत में भर्ती हैं। उन्होंने बताया कि सर्पदंश के बाद जहर का असर किडनी तक पहुंच जाने की स्थिति में मरीजों को भर्ती कर लंबे समय तक इलाज करना पड़ता है। ऐसे मरीजों को कम से कम पांच दिन तक अस्पताल में रखकर उपचार दिया जाता है।

रिम्स और सदर अस्पतालों में मरीजों को एंटीवेनम देकर उन्हें ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है। यदि जहर का असर नहीं बढ़ा होता है, तो मरीजों को कुछ देर बाद छुट्टी दे दी जाती है। रिम्स के आंकड़ों के मुताबिक, सर्पदंश के अधिकतर मरीज ओरमांझी, पिठौरिया, पतरातू और बुंडू जैसे इलाकों से आ रहे हैं।

डॉ. संजय सिंह ने बताया कि समय पर अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को एंटीवेनम देकर बचाया जा सकता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में झाड़-फूंक का सहारा लेने वाले मरीजों की हालत गंभीर हो जाती है, जिससे उनकी जान जोखिम में पड़ जाती है। अधिकतर घटनाएं गांवों में होती हैं और यदि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) में एंटीवेनम उपलब्ध नहीं है, तो मरीज को तुरंत हायर सेंटर रेफर करना चाहिए।

See also  रांची के रातु रोड में एमवे का नया ऑफिस , ग्राहकों के लिए मिलेगी कई सुविधाएं...

रिम्स में इलाज कराने वाले अधिकतर मरीज तड़के सुबह तीन से पांच बजे के बीच अस्पताल पहुंचते हैं। वहीं, दूसरे जिलों से आने वाले मरीज अक्सर सुबह 10 से दोपहर 12 बजे के बीच पहुंचते हैं। डॉक्टरों के अनुसार, सर्पदंश के मामले में देरी होने पर स्थिति गंभीर हो जाती है और जहर का असर किडनी सहित अन्य अंगों तक पहुंच सकता है।

डॉ. संजय सिंह के मुताबिक, सर्पदंश के मरीजों को कम से कम 10 और अधिकतम 20 एंटीवेनम डोज की आवश्यकता होती है, जो कि सांप की प्रजाति पर निर्भर करता है। समय पर उपचार मिलने पर मरीजों को बचाया जा सकता है, लेकिन झाड़-फूंक और देरी से इलाज कराने वाले मरीजों के लिए स्थिति बेहद खतरनाक हो जाती है।

झारखंड में सर्पदंश के बढ़ते मामलों को देखते हुए लोगों से अपील की जा रही है कि वे झाड़-फूंक में समय गंवाने के बजाय जल्द से जल्द नजदीकी अस्पताल में पहुंचें, ताकि समय पर इलाज कर उनकी जान बचाई जा सके।

Thanks for your Feedback!

You may have missed