“देश को बदलना है तो शिक्षा को बदलना होगा”:प्रोफेसर रणजीत प्रसाद…

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जमशेदपुर: जब-जब भी भारत को गुलाम बनाने का प्रयास हुआ यहां की संस्कृति एवं सभ्यता को नष्ट करने के प्रयास हुए। चाहे वह रामायण काल में रावण हो, मुगल काल हो या अंग्रेज काल हो।

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रावण यहां के शिक्षा व्यवस्था को खत्म करने के लिए और यहां के संस्कृततिक विरासत को नष्ट करने के लिए ऋषि मुनियों पर अत्याचार तरते थे। मुगलों ने सरकारी कामकाज एवं अन्य विशेष अवसरों पर अपनें वेश-भुसा, भाषा और संस्कृति को बढ़ावा दिया। अंग्रेज काल में लॉर्ड मैकाले नें ऐसे शिक्षा पद्धति को हमारे देश में लाया जो उनके संस्कृति और सभ्यता को तो बढ़ावा देता ही था साथ ही हमारे भारतीय संस्कृति, सभ्यता और ज्ञान परंपरा के प्रति एक हीन भाव उत्पन्न करता था। अत: देश को बदलना है तो शिक्षा को बदलना होगा। उक्त बातें आज ग्रेजुएट स्कूल एण्ड कॉलेज फॉर वुमेन के सेमिनार हॉल में “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उदेस्य” विषय पर आयोजित विशेषज्ञ संवाद कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रुप में कोल्हान विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य तथा चांसलर नोमिनी प्रोफेसर रणजीत प्रसाद ने कही।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश के नीति निर्धारकों नें औद्योगिक एवं भौतिक विकास को प्राथमिकता दी, जिसके कारण देश बहुत सारे क्षेत्रों में विकास किया जो आवश्यक भी था परन्तु यहाँ के नागरिकों का सम्पूर्ण विकास से ध्यान दुर्लक्षित हुआ। अत: वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारी शिक्षा भारतीयता को ध्यान में रख कर तैयार की गई जिससे शिक्षा हमारा चरित्र एवं व्यक्तित्व विकास कर सके, हमें आत्मनिर्भर बना सके, कुशल बना सके भारत के संस्कृति, सभ्यता एवं ज्ञान परंपरा पर स्वाभिमान जागृत कर सके।

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शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के विभाग संयोजिका डॉ० कविता परमार, पार्षद, बागबेड़ा नें न्यास के स्थापना दिवस के अवसर पर शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा किए जाने वाले कार्यों के विषय में जानकारी दीं।

कार्यक्रम में कोल्हान विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य एवं अंग्रेजी पी. जी. विभागाध्यक्ष प्रो नरेश कुमार भी उपस्थित थे। कॉलेज की प्राचार्या श्रीमती वीणा प्रियदर्शी ने अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ और शॉल के द्वारा किया।

कार्यक्रम में सभी शिक्षक, शिक्षिकाएं और छात्राएं उपस्थित रहीं। अर्चना सिन्हा ने धन्यवाद ज्ञापन किया और डोरीस दास ने मंच संचालन किया। कार्यक्रम का नेतृत्व IQAC कोऑर्डिनेटर श्रीमती सुशीला हंसदा द्वारा किया गया।

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