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तिलौथू / रोहतास (संवाददाता ):-ज्ञात हो कि विगत 2 वर्षों से लॉकडाउन के चलते छोटे बच्चों के शिक्षा का स्तर में भारी गिरावट आई है। जहां विद्यालय बंद है और सर्व शिक्षा अभियान भी सोया हुआ है। जिला की शिक्षा व्यवस्था पूर्ण रूप से ठप है। सम्पन्न अभिभावक अपने बच्चे को घर पर ऑनलाइन ट्यूशन कोचिंग के माध्यम से पढ़ पा रहे हैं। पर गरीब के बच्चे तिलौथू बाजार में अनवरत घूमते दिखाई देते हैं । कोई लड़की चुनता है, कोई प्लास्टिक का डब्बा तो कोई कागज कूट बटोरता दिखाई देता है। यह सारे बच्चे आसपास के टोला एवं सब्जी फल बेचने वाले के बेटा बेटी होते हैं। इन लोगों को पढ़ाई से कोई मतलब नहीं है। और न कोई इन्हे कोई बताने वाला है। सामाजिक कार्यकर्ता सत्यानंद कुमार ने बताया कि समय रहते ऐसे बच्चों को एकल विद्यालय के माध्यम से जोड़ा नहीं गया, तो इनके मन में बहुत सारी गलत अवधारणाएं उत्पन्न हो सकती हैं । इससे बचने के लिए इन्हें अच्छी शिक्षा के साथ संस्कार देना आवश्यक है। सरकार सभी सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों को विगत 2 वर्षों से बैठाकर वेतन दे रही है। अगर वे ऐसे बच्चों को कहीं बिठाकर शिक्षा देते, तो बिहार की शिक्षा में बढ़ोतरी होती या कम से कम कमी तो नहीं होती।

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