संसद में कैसे होती है सीटिंग अरेंजमेंट..? क्या लेवल वाइस बैठाया जाता है आईए देखते हैं…

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :- 18वीं लोकसभा का पहला संसद सत्र सोमवार से शुरू हो चुका है। लोकसभा चुनाव 2024 जीतने के बाद सभी सांसद पहली बार संसद पहुंचे। इस दौरान नवनिर्वाचित सांसदों का शपथ ग्रहण समारोह हुआ। इसके बाद सभी सांसद संसद के आधिकारिक सदस्य हो गए हैं। लाइव प्रसारण के दौरान विपक्ष की ओर से जो तस्वीर निकलकर सामने आई है, उसने बिना बोले ये जता दिया है कि 10 साल बाद ही सही, लेकिन इस बार विपक्ष की मौजूदगी संसद में मजबूत रहेगी।

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क्या संदेश देना चाहते हैं अखिलेश?

तस्वीर थी विपक्ष के नेताओं के सिटिंग अरेंजमेंट की। खास बात यह रही कि यूपी विधानसभा की तरह लोकसभा में भी अवधेश प्रसाद अखिलेश के बगल में ही बैठे नजर आए। राहुल गांधी, अखिलेश यादव और अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद ये कुछ प्रमुख नेता थे जो लोकसभा में फ्रंट लाइन (पहली पंक्ति) में बैठे थे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अवधेश प्रसाद को इतना महत्‍व देकर अखिलेश प्रसाद ने बड़ा सियासी संदेश दिया है। दरअसल, अवधेश बीजेपी की वह ‘अयोध्या’ हैं, जिसकी हार की फांस भगवा पार्टी के लिए सबसे बड़ी है और कहीं न कहीं अयोध्‍या में बीजेपी की हुई किरकिरी को उन्‍होंने भुनाने की कोशिश की है।

ये तो हो गई अवधेश प्रसाद के आगे बैठने की बात। अब हम आपको बताते हैं कि सांसदों की ये सीटें कौन तय करता है और ये किस आधार पर तय की जाती है? या फिर सांसद अपने हिसाब से कोई भी सीट ले लेते हैं? अगर आप भी नहीं जानते तो यहां पढ़िए अपने ऐसे ही सभी सवालों के जवाब-

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संसद में कौन-सा सांसद कहां बैठता है?

संसद में कौन-सा सांसद कहां बैठेगा, यह पहले से तय होता है। सत्र के दौरान सांसद अपनी सीट पर ही बैठते हैं।

संसद में किसी भी सांसद के बैठने की सीट उसकी पार्टी की संख्या के आधार पर तय होती है। जिस पार्टी के जितने ज्यादा सांसद होते हैं, उसके हिसाब से सांसदों को सीट दी जाती है।

संसद में बैठने के लिए कई ब्लॉक्स होते हैं और पार्टी के सदस्यों की संख्या के आधार पर उनके ब्लॉक्स तय होते हैं।

अगर किसी पार्टी के 5 से ज्यादा सांसद हैं तो उनके लिए अलग व्यवस्था होती है।

जिन सासंदों के 5 से कम सांसद होते हैं, उनकी अलग व्यवस्था होती है। इसके बाद निर्दलीय सांसदों को जगह दी जाती है।

पक्ष और विपक्ष के आधार पर होता है सीटों का बंटवारा

सदन में सबसे पहला बंटवारा पक्ष और विपक्ष के आधार पर होता है। आगे के ब्लॉक्स में स्पीकर के दाएं हाथ की तरह सत्ता पक्ष बैठता है और बाएं हाथ की तरह विपक्ष की सीट होती है। इसके अलावा लेफ्ट साइड में एक सीट डिप्टी स्पीकर के लिए तय होती है और उसके पास विपक्ष के फ्लोर लीडर बैठते हैं। इसके बाद बाईं तरफ सांसदों की संख्या के आधार पर ब्लॉक्स डिवाइड किए जाते हैं। जैसे इस बार सबसे आगे दाईं तरफ बीजेपी और लेफ्ट साइट में कांग्रेस के सांसद बैठेंगे। इसके बाद ऊपर के ब्लॉक्स में कम सांसद वाली पार्टियों को जगह मिलती है। जिस पक्ष के ज्यादा सांसद होते हैं, उन्हें उतनी ही आगे की पंक्ति मिलती है।

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सीट कौन डिसाइड करता है?

किस पार्टी के सांसद किस सीट पर बैठेंगे, यह फैसला सदन के स्‍पीकर की ओर से लिया जाता है। डायरेक्शन 122(a) के तहत स्पीकर हर सांसद को सीट अलॉट करते हैं और उसके हिसाब से ही सांसद को सीट पर बैठना होता है। हालांकि, कुछ सीनियर सांसदों को उनकी तबीयत व अन्य चीजों को ध्‍यान में रखकर सीट बंटवारे की व्यवस्था में बदलाव किया जाता है।

 

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