गुजरात, महाराष्ट्र, केरल और नयी दिल्ली के बाद झारखण्ड में भी ब्लैक फंगस बीमारी पाए जाने की खबर से मचा हडकंप.

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रांची : गुजरात, महाराष्ट्र, केरल और नयी दिल्ली के बाद झारखण्ड में कोरोना पीड़ितों में अब ब्लैक फंगस (म्यूकॉरमाइकोसिस) बीमारी पायी जाने की खबर है. खबर है की झारखंड के रामगढ़ जिले के 38 साल के एक युवक में यह ब्लैक फंगस पाया के लक्ष्ण पाए जाने की खबर है, जिसको ठीक करने के लिए उसकी आंख निकालने की स्थिति आ गयी है. बताया जाता है कि कोरोना से ठीक होने के लिए स्ट्रायड दी जाती है. इससे लोगों में ब्लैक फंगस हो जाता है. यह ब्लैक फंगस आंख तक पहुंच जाता है और यह दिमाग में फैलने लगता है. यहीं स्थिति रामगढ़ जिले के उक्त युवक की हो चुकी थी. ऐसे में रांची के मेडिका अस्पताल में उसका ऑपरेशन किया गया और एक आंख निकाली गयी, जिसके बाद एंटी फंगस दवाएं उनको दी जा रही है. यह झारखंड का पहला केस है, लेकिन इससे सतर्कता बढ़ गयी है और स्वास्थ्य विभाग के कान खड़े हो गये है. यह दुर्लभ बीमारी माना जाता है. यह कोरोना से ठीक हो चुके या फिर ठीक हो रहे मरीजों को अपना शिकार बनाता है. कोरोना के दौरान एस्ट्रायड के इस्तेमाल के कारण यह स्थिति होता है. म्यूकॉरमाइकोसिस नामक यह फंगस का एक समूह है, जो लोगों के शरीर रमें जाकर नुकसान पहुंचाता है. दूसरी ओर, आइसीएमआर ने इसको लेकर भई गाइडलाइन और एडवाइजरी जारी की है. ब्लैक फंगस एक इंफेक्शन है, जो कोरोना पोजिटिव मरीजों में पाया जाता है, जो लोगों को अंधा कर दे रहा है और दिखायी देना बंद हो जा रहा है. यह खतरा सुगर के मरीजों को ज्यादा है. अनियंत्रित सुगगरवालों को यह होता है. सुगर के साथ एस्ट्रेयाड का इस्तेमाल होने से परेशानी ज्यादा बढ़ती है. सबको कहा गया है कि वे लोग डाइबिटीज को कंट्रोल में रखें. अगर मरीज एंटीबायोटिक्स या एंटीफंगल दवा का इस्तेमाल कर रहा है तो उसको लेकर भी सावझानी बरते और ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान साफ पानी का इस्तेमाल करें. एस्ट्रायड का सही डोज भी जरूरी है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने अपील की है कि ब्लैक फंगस के किसी भी लक्षण को हल्के में नहीं लें. लोगों को धूल वाली जगह पर जाने से परहेज करना चाहिए और हाथों और पैरों को भी ढंकने वाले कपड़े पहनी जानी चाहिए.

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